हरेली तिहार में छत्तीसगढ़ी स्वादों की सुगंध से महका मुख्यमंत्री निवास
पारंपरिक व्यंजनों, लोकसंस्कृति और आत्मीयता से सजा उत्सव का रंग
छत्तीसगढ़ी स्वादों से सराबोर हुआ हरेली उत्सव
दीपक मित्तल प्रधान संपादक छत्तीसगढ़
रायपुर, 24 जुलाई 2025/
छत्तीसगढ़ की मिट्टी में रचे-बसे त्योहार सिर्फ रस्म अदायगी नहीं, बल्कि जीवनशैली, परंपरा, स्वाद और सामाजिक मेलजोल के जीवंत प्रतीक होते हैं। इसी भावना को समर्पित प्रदेश के प्रमुख कृषि पर्व हरेली तिहार के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में पारंपरिक छत्तीसगढ़ी स्वादों की भरपूर छटा देखने को मिली।
कार्यक्रम में आगंतुकों के स्वागत हेतु ठेठरी, खुरमी, पिड़िया, अनरसा, खाजा, करी लड्डू, मुठिया, गुलगुला भजिया, चीला-फरा, बरा और चौसेला सहित दर्जनों पारंपरिक व्यंजनों की सुस्वादु थाली परोसी गई। बांस की सूप, पिटारी और दोना-पत्तल में सजे इन व्यंजनों ने जहां स्वाद से मुंह मोहा, वहीं लोकजीवन की आत्मा को भी जीवंत कर दिया।
मुख्यमंत्री ने भी व्यंजनों का स्वाद चखते हुए कहा कि हरेली सिर्फ खेती-किसानी का पर्व नहीं, यह हमारी लोकसंस्कृति, परंपरा और आपसी आत्मीयता की अभिव्यक्ति है। इन पकवानों में हमारी माताओं और बहनों की मेहनत, सादगी और स्नेह की वह सुगंध छिपी है, जो छत्तीसगढ़ की असली पहचान है।
पूरे परिसर में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की सौंधी खुशबू बिखरी हुई थी। कहीं ढोल-मंजीरे की थाप पर लोकनृत्य हो रहे थे, तो कहीं व्यंजनों की खुशबू लोगों को अपनी ओर खींच रही थी। परंपरागत वेशभूषा में सजे ग्रामीण कलाकारों की प्रस्तुति ने माहौल को आत्मीय और जीवंत बना दिया।
कार्यक्रम में शामिल अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, कलाकारों और आम नागरिकों ने इसे एक स्मरणीय सांस्कृतिक अनुभव बताया, जो छत्तीसगढ़ की आत्मा को उसकी परंपराओं, स्वादों और मिट्टी से जोड़ता है।
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3. हरेली में झलकी छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक रसोई
4. लोकजीवन, स्वाद और संस्कृति का संगम बना हरेली पर्व
5. छत्तीसगढ़ी पारंपरा की थाली में परोसी आत्मीयता

Author: Deepak Mittal
