भूविस्थापितों के सब्र का बांध टूटा: SECL की अनदेखी पर महिलाओं का अर्धनग्न प्रदर्शन, फर्जी नियुक्तियों की जांच की मांग तेज

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भूविस्थापितों के सब्र का बांध टूटा: SECL की अनदेखी पर महिलाओं का अर्धनग्न प्रदर्शन, फर्जी नियुक्तियों की जांच की मांग तेज

बालोद,कुसमुंडा परियोजना से प्रभावित भूविस्थापित परिवारों के सब्र का बांध अब टूट चुका है। एसईसीएल (SECL) की कथित फर्जी नियुक्तियों और प्रबंधन की अनदेखी के खिलाफ शुक्रवार को महिलाओं ने जीएम कार्यालय के भीतर अर्धनग्न होकर जोरदार प्रदर्शन किया।

इस विरोध का नेतृत्व आम आदमी पार्टी महिला विंग की जिला अध्यक्ष कांता गरीहा ने किया। उन्होंने बताया कि वर्षों पहले कुसमुंडा परियोजना में फर्जी नौकरियां बांटी गईं, जिनमें असली जमीन मालिकों को दरकिनार कर बाहरी लोगों को नौकरी दे दी गई। अब सच्चे भूविस्थापित परिवार दर-दर भटक रहे हैं।

महिला विंग की सचिव सविता साहू ने गुस्से में कहा कि प्रबंधन की असंवेदनशीलता ने महिलाओं को अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करने पर मजबूर कर दिया है, यह बेहद शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि अधिकारी बार-बार यह तर्क देते हैं कि राज्य शासन की सहमति और सत्यापन के बाद ही नौकरी दी गई है, लेकिन सवाल है कि यह सत्यापन किनके लिए और किसके नाम पर हुआ?

महिला विंग की सह-सचिव किरण साहू और उपाध्यक्ष राधिका ने 1978 के समय का जिक्र करते हुए बताया कि उस दौर में पुनर्वास नीति स्पष्ट नहीं थी, फिर भी तीन एकड़ भूमि पर एक नौकरी का प्रावधान था। उन्होंने आरोप लगाया कि उस समय के राजस्व अधिकारियों और कुछ एसईसीएल कर्मियों की मिलीभगत से जमीनों में हेरफेर कर नौकरी बेची गईं। बड़ी जमीनों को टुकड़ों में बांटकर कई फर्जी नामों पर नियुक्तियां की गईं।

जिला उपाध्यक्ष तोरणी पटेल ने कहा कि जो लोग उस समय नौकरी नहीं करना चाहते थे, उनकी सहमति लेकर दूसरों को नौकरी दे दी गई। अब वही असली भूमि स्वामी और उनके आश्रित अपने हक के लिए दर-दर भटक रहे हैं।

पूर्णिमा साहू, महिला विंग की जिला उपाध्यक्ष ने बताया कि आज भी रोजगार, मुआवजा, बसाहट और पुनर्वास के मामलों में एसईसीएल की नीति सवालों के घेरे में है।

आम आदमी पार्टी ने SECL प्रबंधन से मांग की है कि सभी असली भूविस्थापितों को तुरंत न्याय, मुआवजा और रोजगार उपलब्ध कराया जाए, साथ ही फर्जी नियुक्तियों की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

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Author: Deepak Mittal

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