छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना की 17वीं किस्त जारी, अब तक 70 लाख महिलाओं को मिला 11 हजार करोड़ से अधिक का लाभ

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रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की बहुप्रशंसित महतारी वंदन योजना के तहत महिलाओं को दी जा रही आर्थिक सहायता की 17वीं किस्त जारी कर दी गई है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार, इस बार राज्य की 69.23 लाख से अधिक महिलाओं को 647.66 करोड़ रुपए सीधे बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए हैं।

मार्च 2024 से शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक लगातार 17 महीने में कुल 11,081.68 करोड़ रुपए की राशि महिलाओं को प्रदान की जा चुकी है। योजना के अंतर्गत 21 से 60 वर्ष आयु वर्ग की विवाहित, विधवा, तलाकशुदा और परित्यक्ता महिलाओं को प्रतिमाह 1,000 रुपए की सहायता दी जाती है।

इस महीने कम हुईं लाभार्थी महिलाएं

पिछले माह की तुलना में जुलाई 2025 में लगभग 7,000 महिलाएं योजना से बाहर हो गई हैं। जून में 69,30,041 महिलाओं को राशि दी गई थी, जबकि जुलाई में यह संख्या घटकर 69,23,167 रह गई।

डीबीटी के माध्यम से राशि ट्रांसफर

महतारी वंदन योजना की राशि डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से दी जा रही है। जिन हितग्राहियों के बैंक खाते आधार से लिंक नहीं हैं, उनकी राशि वापस लौट रही है। उन्हें बैंक जाकर आधार सीडिंग कराने की अपील की गई है। लाभार्थियों को एसएमएस के माध्यम से भी सूचित किया गया है।

योजना से बदल रहे हैं जीवन

यह योजना केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि महिलाओं के सपनों को साकार करने का माध्यम बन रही है। महिलाएं अब आत्मनिर्भर बनकर छोटे-छोटे व्यवसाय शुरू कर रही हैं, बच्चों की पढ़ाई और दवाइयों का खर्च उठा रही हैं और घरेलू जरूरतों को खुद पूरा कर रही हैं।

प्रेरणादायक कहानियाँ:

  • कंचन (ग्राम गीधा, मुंगेली): महतारी वंदन की राशि से गुपचुप ठेला व्यवसाय बढ़ाया, अब घर की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं।

  • श्यामा बाई (कुरूद): बांस शिल्प में पारंपरिक हुनर से अब हर माह 8,000 रुपए की आमदनी कर रही हैं।

  • गीता यादव (ग्राम दिघवाड़ी): सालाना मिलने वाले 12 हजार रूपए बच्चों की पढ़ाई और इलाज में उपयोगी साबित हो रहे हैं।

  • कान्ति बाई (ग्राम हथरा): अब छोटी जरूरतों के लिए पति पर निर्भर नहीं, खुद खर्च चला पा रही हैं।

मुख्यमंत्री का संदेश

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस योजना को महिलाओं को सहायता से आगे बढ़कर समाज में भागीदारी का अधिकार देने वाला प्रयास बताया है। उन्होंने कहा कि आज छत्तीसगढ़ की महिलाएं पारंपरिक भूमिका से निकलकर परिवार और समाज की आर्थिक रीढ़ बन रही हैं।

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Author: Deepak Mittal

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