ताजा खबर
बड़ी खबर : छत्तीसगढ़ में होगी शिक्षकों की भर्ती,प्रथम चरण में 5,000 पदों पर होगी नियुक्ति नशे के विरूद्व बालोद पुलिस की बड़ी कार्यवाही पुलिस ने गांजा बेचने ग्राहक तलाश करते आरोपी को किया गिरफ्तार अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महिलाओं का योगदान अतुलनीय” — राज्यपाल रमेन डेका राज्यपाल रमेन डेका एक दिवसीय प्रवास पर बालोद पहुँचे ,,कलेक्टर दिव्या मिश्रा और पुलिस अधीक्षक एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने किया आत्मीय स्वागत युक्तियुक्तकरण का अनोखा विरोध मुंगेली से: शिक्षक भर्ती के लिए उपमुख्यमंत्री पद समाप्त करने की मांग कर चोरी करने वाले व्यवसायियों के विरूद्ध स्टेट जीएसटी की बड़ी कार्यवाही..

प्यासा टैंक’: लाखों की योजना बनी लोगों की परेशानी पानी को तरसता 96 लाख की लागत का टैंक

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

जे के मिश्र
जिला ब्यूरो चीफ
नवभारत टाइम्स 24*7 in बिलासपुर

बिलासपुर रतनपुर। बिल्हा ब्लॉक के अंतिम छोर पर बसे खैरखुंडी पंचायत के ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए जल जीवन मिशन के तहत लगभग 96 लाख रुपये की लागत से टंकी और पाइपलाइन बिछाई गई थी। यह योजना गांवों को स्वच्छ और पर्याप्त जल आपूर्ति के उद्देश्य से बनाई गई थी, लेकिन हालात यह हैं कि टंकी खुद ही पानी की एक बूंद को तरस रही है।

गांव के लोगों ने बताया कि टंकी तो बना दी गई और नल कनेक्शन भी कर दिए गए, लेकिन उसमें पानी पहुंचाने की कोई व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है।
जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर और जनपद से 45 किलोमीटर दूर स्थित इस पंचायत में आज भी ग्रामीण पीने के पानी के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं।

पाइपलाइन बिछाने के बावजूद न टंकी में जलभराव हो पा रहा है और न ही घरों में पानी की आपूर्ति हो रही है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि स्रोत की अनुपलब्धता के चलते जल आपूर्ति शुरू नहीं की जा सकी है।

पुराने तरीकों से हो रही प्यास बुझाने की कोशिश

ग्रामीणों ने प्रशासनिक अधिकारियों को इस समस्या से कई बार अवगत कराया, लेकिन किसी ने संज्ञान नहीं लिया। मजबूरी में अब लोग पुराने उपायों की ओर लौटते हुए या तो हैंडपंप से पानी भर रहे हैं या पास की नदी से पानी लाकर जमा कर रहे हैं।

क्या कहता है प्रशासन

बिल्हा ब्लॉक के पीएचई विभाग के इंजीनियर मुकेश बहेकर ने जानकारी देते हुए कहा कि खैरखुंडी में पानी का स्रोत नहीं है, इसलिए सप्लाई समय पर नहीं हो पा रही। टंकी तो तैयार है, लेकिन जब तक स्रोत नहीं मिलेगा, पानी नहीं पहुंच सकता

प्रश्न यह है कि जब श्रोत नहीं था तो विभाग ने 96लाख खर्च क्यों किये क्या कार्य से पूर्व सर्वे कराया नहीं गया

यह मामला केवल सरकारी लापरवाही का नहीं बल्कि योजनाओं को ज़मीन से जोड़ने की विफलता का भी उदाहरण है। जब तक योजनाओं को जमीनी हकीकत के साथ जोड़ा नहीं जाएगा, तब तक ऐसे विकास कार्य केवल ‘दिखावा’ बनकर रह जाएंगे और प्यासे रहेंगे गांव।
ग्रामवासी विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर एवं व्यय राशि वसूली की मांग की है

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

June 2025
S M T W T F S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *