जे के मिश्र / बिलासपुर जिले के सिरगिट्टी क्षेत्र, जो कबाड़ियों का गढ़ माना जाता है, से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां थाना परिसर से हजारों कबाड़ में तब्दील जली हुई गाड़ियां अचानक गायब हो गईं। हैरत की बात यह है कि इस घटना से खुद थाने के प्रभारी अनजान हैं। पुलिस कर्मियों से लेकर थाना प्रभारी तक किसी को यह नहीं पता कि जली हुई करीब 1000 बाइकें कहां रखी थीं और कैसे गायब हो गईं।
सिरगिट्टी: कबाड़ियों का सुरक्षित अड्डा बिलासपुर का सिरगिट्टी इलाका कबाड़ियों के चलते आसपास के क्षेत्रों के लिए कबाड़ का प्रमुख केंद्र बन गया है। यहां सक्रिय कबाड़ी जैसे इमरान, फिरोज, जावेद और फारुख, लंबे समय से अवैध कबाड़ का कारोबार चलाते आ रहे हैं। रेलवे और सरकारी संपत्ति की चोरी कर लाए गए लोहे, तार और अन्य सामग्री भी बरामद हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में कुछ कबाड़ियों ने अपने कारोबार को इतना बढ़ा लिया कि हाल ही में एक कबाड़ी ने तीन करोड़ रुपये की जमीन का सौदा कर लिया।
नेताओं से जुड़े तार? माना जा रहा है कि इस क्षेत्र में एक स्थानीय नेता का इस कबाड़ व्यवसाय से गहरा नाता है। सिरगिट्टी में बढ़ती चोरी, चाकूबाजी, और नशाखोरी के पीछे इस कबाड़ व्यवसाय को प्रमुख कारण माना जा रहा है। ऐसे में थाने से लाखों रुपये मूल्य की कबाड़ में बदल चुकी गाड़ियों का गायब होना एक गंभीर सवाल उठाता है। क्या यह संभव है कि कबाड़ियों का थाना में इतना प्रभाव हो कि वे जब्त की गई सामग्री को भी चुपचाप गायब करवा सकें?
थाना प्रभारी का बयान थाना प्रभारी विजय चौधरी ने घटना की जानकारी से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि मामले की जानकारी के लिए वे रजिस्टर की जांच करेंगे और उच्च अधिकारियों की अनुमति के बाद ही स्थल की फोटो खींचने की बात कही। अगर पुलिस पर लगे आरोप सही साबित होते हैं, तो यह सिरगिट्टी में कबाड़ियों के प्रभाव की गहराई को उजागर करेगा।
सिरगिट्टी थाने का इतिहास बताता है कि पुलिस और कबाड़ियों के बीच सांठगांठ के आरोप लगते रहे हैं, और हर बार खानापूर्ति के लिए पुलिस कुछ कबाड़ियों की गाड़ियां जब्त कर मामूली कार्यवाही करती आई है। अब देखना होगा कि इस बार यह मामला कहां तक पहुंचता है और क्या कोई ठोस जांच होती है।
