मठ-मंदिरों के सरकारीकरण और आमदनी का साधन बनाना अनुचित: शंकराचार्य का बड़ा बयान

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जे के मिश्र / बिलासपुर – श्री गोवर्धन मठ पुरी के पीठाधीश्वर, जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने मठ-मंदिरों के सरकारीकरण और उनकी आमदनी को लेकर चल रहे मुद्दों पर सख्त बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मठ-मंदिरों को आमदनी का जरिया बनाना गलत है और ऐसा करना मठ-मंदिरों के मूल उद्देश्य का अपमान है। उनका मानना है कि मठ और मंदिरों का संचालन शंकराचार्य के मार्गदर्शन में होना चाहिए ताकि धार्मिक स्थलों का सही ढंग से संरक्षण और संचालन किया जा सके।

तिरुपति बालाजी विवाद पर टिप्पणी
तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डुओं के प्रसाद को लेकर चल रहे विवाद के संदर्भ में शंकराचार्य ने कहा कि यदि मठ-मंदिरों को कमाई का जरिया बनाया जाएगा, तो इस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती रहेंगी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि मठ-मंदिरों का दोहन नहीं होना चाहिए और इनका सरकारीकरण होना अनुचित है। उनका मानना है कि शंकराचार्य के दिशा-निर्देशों में मंदिरों का प्रबंधन होना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े।

गौ हत्या पर शंकराचार्य की राय
कार्यक्रम के दौरान जब गौ हत्या से संबंधित सवाल किया गया, तो शंकराचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय मोदी ने गौ हत्या रोकने और गायों की रक्षा की बात कही थी। उन्होंने कहा कि गो रक्षक अब गुंडे माने जाने लगे हैं, जो बेहद चिंताजनक है।

बिलासपुर के उसलापुर में शंकराचार्य का हुआ भव्य स्वागत
शंकराचार्य के बिलासपुर आगमन पर उसलापुर स्टेशन पर उनके स्वागत के लिए पीठ परिषद, आदित्य वाहिनी और आनंद वाहिनी के कार्यकर्ता भारी संख्या में उपस्थित रहे। पूर्व विधायक शैलेश पांडे सहित अन्य प्रमुख लोग भी इस स्वागत समारोह में शामिल थे।

संस्कृत शिक्षा को लेकर शंकराचार्य का संकल्प
शंकराचार्य ने अपने वक्तव्य में कहा कि वे राज्य सरकार से चर्चा करेंगे ताकि छत्तीसगढ़ में संस्कृत शिक्षा का व्यापक प्रसार हो सके। उनका मानना है कि छत्तीसगढ़ के बच्चों और युवाओं को संस्कृत की पढ़ाई के लिए अन्य राज्यों में जाने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। वे यहां संस्कृत विद्यालय स्थापित करने के लिए भी सरकार से सहयोग की अपील करेंगे।

40 मिनट हनुमान चालीसा के पाठ का महत्व
शंकराचार्य ने बताया कि हर व्यक्ति को प्रतिदिन 40 मिनट तक हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। उन्होंने इसे आध्यात्मिक शांति और मन की परिपक्वता के लिए महत्वपूर्ण बताया। साथ ही, उन्होंने सात्विक आहार और जीवनशैली को अपनाने की भी सलाह दी, जिससे मनुष्य के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

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Author: Deepak Mittal

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