
(जे के मिश्र) : महासमुंद जिले के नयापारा निवासी शाहिदा कुरैशी को 14 साल बाद अपने पति की रिटायरमेंट बेनिफिट्स के लिए न्याय मिला है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वे शाहिदा के पति के सभी लंबित भुगतान ब्याज सहित 60 दिनों के भीतर करें।
कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद नहीं किया भुगतान
शाहिदा कुरैशी के पति शमीम अख्तर कुरैशी, जो जल संसाधन विभाग में ग्रेड 3 समयपाल के पद पर 32 साल सेवा दे चुके थे, को 2010 में सेवानिवृत्त किया गया था। सेवानिवृत्ति के बाद विभाग ने उनके रिटायरमेंट बेनिफिट्स का भुगतान नहीं किया। शमीम अख्तर ने अपने जीवन के अंतिम समय तक विभाग से अपनी देय राशि प्राप्त करने के लिए संघर्ष किया, लेकिन दुर्भाग्यवश उनकी मृत्यु हो गई।
पत्नी ने आगे लड़ी कानूनी लड़ाई
पति की मृत्यु के बाद शाहिदा ने न्याय के लिए लड़ाई जारी रखी और छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में शाहिदा ने अपने पति के रिटायरमेंट बेनिफिट्स और अन्य लंबित भुगतान की मांग की थी। उनके अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के माध्यम से दायर याचिका पर सुनवाई जस्टिस सचिन सिंह राजपूत के सिंगल बेंच में हुई।
कोर्ट ने दिया राज्य सरकार को आदेश
कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए जल संसाधन विभाग के सचिव, मुख्य अभियंता और कार्यपालन अभियंता को नोटिस जारी किया और निर्देश दिया कि वे शाहिदा कुरैशी को उनके पति के सभी लंबित रिटायरमेंट बेनिफिट्स का भुगतान ब्याज सहित 60 दिनों के भीतर करें।
इस आदेश से शाहिदा कुरैशी को अपने पति के न्याय के लिए लंबी कानूनी लड़ाई के बाद राहत मिली है। कोर्ट के इस फैसले से यह भी संदेश जाता है कि न्याय देर से मिल सकता है, लेकिन न्याय मिलता जरूर है।
