निर्मल अग्रवाल : मुंगेली – छग का पारंपरिक, सांस्कृतिक वैभव का प्रतीक पर्व भोजली मंगलवार को हर्षोल्लास व परंपरागत रूप से मनाया गया।नगर पंचायत सरगांव में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी ब्रह्मदेव चौक से हरी कीर्तन मंडली की अगुवाई में भोजली विसर्जन को निकाला गया।
राधाकृष्ण मंदिर से दर्शन पश्चात धुमेश्वी मंदिर से आदि शक्ति महामाया मंदिर में उपस्थित महिलाओं द्वारा भोजली गीत गाते हुए इसे सिर पर धारण कर शोभा यात्रा निकाली।महिलाओं व बच्चों ने टोकरी में भोजली बीज बोकर एक सप्ताह से इसकी देखभाल करते हैं

नई फ़सल की कामना के लिए किसान परिवार का महत्वपूर्ण त्योहार है,रक्षाबंधन के दुसरे दिन भोईना तालाब में विसर्जित करते हैं।विसर्जन पश्चात महिलाएं,लड़कियां,पुरुष व युवा एक दूसरे को भोजली का दूब भेंटकर जीवन भर मित्रता का धर्म निभाने का संकल्प लेते हैं।
मंदिर विकास समिति अध्यक्ष शिव पाण्डेय ने बताया कि किसान परिवार की मान्यता है कि जितनी बड़ी भोजली रहेगी,फ़सल उतनी ही अच्छी होगी। भोजली पर्व की परंपरा सदियों पुरानी है,और इसके पीछे धार्मिक व सांस्कृतिक मान्यताएं जुड़ी है।

घर में सुख समृद्धि आती है।इस अवसर पर पं ओमप्रकाश तिवारी,तुलसी साहू,दुखी राम कौशिक, रामकुमार साहू,राम खिलावन साहू,राकेश साहू,बजरंग साहू,लक्ष्मन वर्मा आदि बड़ी संख्या में महिला बच्चे व नगरवासी उपस्थित रहे।

Author: Deepak Mittal
