एनआइआरएफ रैंकिंग में सीयू फ्लॉप, फार्मेसी में भी झटका..

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बिलासपुर। भारत में हर साल एनआइआरएफ रैंकिंग के तहत उच्च शिक्षा संस्थानों का मूल्यांकन और रैंकिंग विभिन्न मानदंडों के आधार पर की जाती है। शिक्षा मंत्रालय ने रविवार को नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) के नौवें संस्करण की घोषणा की।

इस रैंकिंग में 13 श्रेणियों में मूल्यांकन किया जाता है। इस बार गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू) का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। न केवल टॉप 10 में, बल्कि 151-200 के बैंड में भी विश्वविद्यालय का नाम नहीं आया। फार्मेसी संस्थान भी टॉप-50 से बाहर हो गया है।

गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय की गिरती रैंकिंग

गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर पर इस साल छात्रों और शिक्षकों की उम्मीदें थी, क्योंकि इसे पहली बार राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से ए डबल प्लस ग्रेडिंग मिली थी।

इसके बावजूद, एनआइआरएफ रैंकिंग में प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। यह रैंकिंग छात्रों, शिक्षकों और शोधार्थियों के बीच निराशा फैला रही है।

वर्ष 2016-17 में पहली बार रैंकिंग में शामिल होने के बाद, विश्वविद्यालय को 151-200 के बैंड में रखा गया था। वर्ष 2017-18 में 170वीं रैंक से संतुष्ट होना पड़ा था, लेकिन इसके बाद विश्वविद्यालय की स्थिति और खराब हो गई और अब यह सूची से बाहर हो गया है।

फार्मेसी विभाग का प्रदर्शन

केंद्रीय विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग ने सूची में नाम दर्ज कर भले ही अपनी लाज बचाई है, लेकिन टॉप-50 से बाहर हो गया है। इस बार विभाग को 49.65 स्कोर के साथ 54वां स्थान मिला है। पिछले कुछ वर्षों में फार्मेसी विभाग का प्रदर्शन निम्नलिखित रहा है:

वर्ष 2024 में, फार्मेसी विभाग ने 49.65 स्कोर के साथ 54वां स्थान प्राप्त किया। वर्ष 2023 में यह स्कोर 51.27 था और विभाग 43वें स्थान पर था। 2022 में स्कोर 47.89 था और स्थान 43वां।

2021 में स्कोर 45.64 और स्थान 42वां था। 2020 में 44.17 स्कोर और 44वां स्थान मिला था। 2019 में स्कोर 44.38 और स्थान 37वां था। 2018 में 42.58 स्कोर के साथ 35वां स्थान था और 2017 में 38.10 स्कोर के साथ भी 35वां स्थान मिला था।

एयू और मुक्त विश्वविद्यालय भी फिसड्डी

राज्य विश्वविद्यालयों की बात करें तो अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय और पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय भी एनआइआरएफ रैंकिंग में फिसड्डी साबित हुए हैं।

इन संस्थाओं ने आज तक एनआइआरएफ रैंकिंग में कोई स्थान प्राप्त नहीं किया है और न ही इस दिशा में कोई प्रयास किया गया है। इसका सीधा नुकसान भविष्य की पीढ़ी और संस्थाओं को हो रहा है।

बिलासपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय और अन्य राज्य विश्वविद्यालयों के इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद यह सवाल उठता है कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे। उम्मीद है कि संबंधित विभाग और संस्थान इस दिशा में ठोस कदम उठाकर अपनी स्थिति में सुधार करेंगे।

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Author: Deepak Mittal

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