रायपुर/दिल्ली। नवरात्रि सिर्फ पूजा-पाठ का पर्व नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक जागरण, आत्मशुद्धि और शक्ति जागरण का उत्सव है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की आराधना होती है और हर दिन अपने साथ एक खास जीवन संदेश लेकर आता है।
धार्मिक ग्रंथों मार्कण्डेय पुराण, दुर्गा सप्तशती और देवी भागवत पुराण में इन नौ स्वरूपों की महिमा का विस्तार से वर्णन है। आइए जानते हैं हर दिन के महत्व और शक्ति का रहस्य—
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पहला दिन – मां शैलपुत्री
आत्मबल और स्थिरता का प्रतीक। यह हमें सिखाती हैं कि हर शुरुआत आत्मविश्वास से करनी चाहिए। -
दूसरा दिन – मां ब्रह्मचारिणी
संयम, तपस्या और धैर्य की देवी। जीवन में अनुशासन से ही सफलता मिलती है। -
तीसरा दिन – मां चंद्रघंटा
भय को हराने वाली योद्धा। संदेश देती हैं कि जीवन डर से नहीं, साहस से जिया जाता है। -
चौथा दिन – मां कूष्मांडा
सृजन और ऊर्जा की देवी। सिखाती हैं कि सही दिशा में ऊर्जा लगाकर नया जीवन रचा जा सकता है। -
पांचवां दिन – मां स्कंदमाता
मातृत्व और करुणा का प्रतीक। हमें याद दिलाती हैं कि प्यार और सेवा सबसे बड़ी शक्तियां हैं। -
छठा दिन – मां कात्यायनी
साहस और न्याय की देवी। अन्याय के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देती हैं। -
सातवां दिन – मां कालरात्रि
अंधकार में प्रकाश का संदेश। ये अज्ञान और बुराई का विनाश करती हैं। -
आठवां दिन – मां महागौरी
शांति, सौंदर्य और आत्मशुद्धि की मूरत। करुणा और आंतरिक शांति का महत्व बताती हैं। -
नौवां दिन – मां सिद्धिदात्री
सभी सिद्धियों की दात्री। सिखाती हैं कि पूर्ण समर्पण से सफलता अपने आप मिलती है।
इन नौ दिनों की साधना हमें याद दिलाती है कि हर इंसान के भीतर शक्ति है, बस उसे जगाने की ज़रूरत है। हर देवी का रूप हमारे जीवन के किसी पहलू से जुड़ा है – आत्मबल, प्रेम, साहस, न्याय, सेवा और शांति।

Author: Deepak Mittal
