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21 माओवादी आत्मसमर्पण, 25.50 लाख के इनामी नक्सली भी हुए पुनर्वासित

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Deepak Mittal

बस्तर। छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन की दिशा में सरकार के प्रयासों को बड़ी सफलता मिली है। गृहमंत्री विजय शर्मा के नेतृत्व में चल रहे आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास अभियान का असर लगातार बढ़ रहा है। बस्तर संभाग में चल रहे “पूना मारगेम” (पुनर्वास से पुनर्जीवन) और दंतेवाड़ा जिले में संचालित “लोन वर्राटू” (घर वापस आइए) अभियान से प्रेरित होकर कुल 21 माओवादी मुख्यधारा में लौट आए हैं। इनमें से ₹25 लाख 50 हजार के इनामी 13 माओवादी भी शामिल हैं।

 

गृहमंत्री ने किया स्वागत

बस्तर में हुए इस आत्मसमर्पण कार्यक्रम में गृहमंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों का स्वागत करते हुए कहा- “आप सभी का मुख्यधारा में स्वागत है, अभिनंदन है। मैं माओवादियों से अपील करता हूँ कि वे बंदूक की राह छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ें। अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्व को समझते हुए शांति, सद्भाव और सम्मान का मार्ग अपनाएं।” गृहमंत्री ने आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादियों को पुनर्वास योजनाओं का लाभ दिलाने का भरोसा दिया।

आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी

आत्मसमर्पण करने वालों में दंतेवाड़ा, नारायणपुर, सुकमा और बीजापुर जिले के सक्रिय माओवादी शामिल हैं। इनमें से कई लंबे समय से पुलिस और सुरक्षा बलों को निशाना बनाने, सड़क निर्माण कार्यों में बाधा डालने और ग्रामीणों में दहशत फैलाने जैसी घटनाओं में शामिल रहे हैं। विशेष रूप से आत्मसमर्पण करने वाले 13 इनामी माओवादियों पर कुल ₹25 लाख 50 हजार का इनाम घोषित था। यह नक्सली संगठन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

पुनर्वास योजनाओं का लाभ

राज्य सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए “पूना मारगेम” और “लोन वर्राटू” जैसी योजनाएं चलाई हैं। इन योजनाओं के अंतर्गत –

आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

उनके पुनर्वास और पुनर्जीवन के लिए रोजगार, शिक्षा और आजीविका से जुड़ी योजनाओं से जोड़ा जाता है।

उन्हें समाज की मुख्यधारा से जुड़ने और सामान्य जीवन जीने का अवसर दिया जाता है।

गृहमंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट कहा कि सरकार का लक्ष्य बंदूक उठाने वाले हर युवक को वापस मुख्यधारा में लाना है।

“लोन वर्राटू” और “पूना मारगेम” का प्रभाव

लोन वर्राटू अभियान : दंतेवाड़ा में शुरू हुआ यह अभियान बड़ी सफलता साबित हुआ है। इस अभियान के तहत माओवादियों के परिवारों से अपील की जाती है कि वे अपने बच्चों और परिजनों को आत्मसमर्पण करने के लिए प्रेरित करें। इसके जरिए बड़ी संख्या में नक्सलियों ने अब तक हथियार छोड़े हैं। पूना मारगेम अभियान : बस्तर संभाग में चलाए जा रहे इस अभियान का मकसद है – “पुनर्वास से पुनर्जीवन” यानी आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सम्मानजनक जीवन की ओर ले जाना। इन दोनों अभियानों ने अब तक हजारों माओवादियों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सरकार की अपील

गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि नक्सली हिंसा का कोई भविष्य नहीं है। सरकार और समाज मिलकर विकास, शिक्षा और रोजगार के रास्ते खोल रहे हैं। उन्होंने शेष बचे नक्सलियों से भी अपील की है कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर सरकार की पुनर्वास नीतियों का लाभ उठाएं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन अभियानों ने नक्सल संगठन की कमर तोड़ दी है। लगातार हो रहे आत्मसमर्पण से न केवल संगठन कमजोर हो रहा है, बल्कि ग्रामीण इलाकों में शांति और विश्वास का माहौल भी बन रहा है। आने वाले दिनों में नक्सल हिंसा पर और अंकुश लगने की संभावना जताई जा रही है।

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Author: Deepak Mittal

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