कोंडागांव।
छत्तीसगढ़ पुलिस ने देशभर में फैले एक साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश करते हुए 11 राज्यों में करोड़ों की ठगी करने वाले पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने अब तक करीब 1 करोड़ 70 लाख रुपये की ऑनलाइन धोखाधड़ी को अंजाम दिया था। लेकिन एक मामूली गिरफ्तारी से खुल गया पूरा नेटवर्क!
कैसे हुआ खुलासा?
फरसगांव थाना क्षेत्र में दर्ज अपराध क्रमांक 46/2025 से जांच की शुरुआत हुई। भावेश तारम नामक एक आरोपी की गिरफ्तारी के बाद पूरा लेयर सिस्टम सामने आया, जिससे गिरोह की कुशल लेकिन खतरनाक कार्यप्रणाली का पर्दाफाश हुआ।
गिरोह का लेयर सिस्टम – ऐसे करते थे करोड़ों की ठगी:
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लेयर-1: गरीब व बेरोजगार लोगों से मामूली रकम का लालच देकर उनके नाम से बैंक खाता, एटीएम, पासबुक और मोबाइल सिम लिया जाता था।
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लेयर-2: ये अकाउंट बिचौलियों को बेचे जाते थे, जो असली स्कैमर्स तक इन्हें पहुंचाते थे।
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लेयर-3 और 4: मुख्य स्कैमर, जो इन खातों का उपयोग करके देशभर में साइबर ठगी करते थे।
गिरफ्तारी कहां से और किसने की?
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स्थान: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और उत्तर प्रदेश के प्रयागराज
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टीम: एसडीओपी अभिनव उपाध्याय के नेतृत्व में विशेष टीम, जिसमें निरीक्षक संजय सिन्दे और साइबर सेल के विशेषज्ञ शामिल थे।
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संचालन: एसपी वाय. अक्षय कुमार और एएसपी कौशलेन्द्र देव पटेल के निर्देशन में।
क्या होता है ‘म्यूल अकाउंट’?
यह एक ऐसा बैंक खाता होता है जो किसी सामान्य व्यक्ति के नाम पर खोला जाता है, लेकिन उसका उपयोग साइबर अपराध में किया जाता है। म्यूल अकाउंट धारक भी कानूनी सजा का भागी बन सकता है।
थानों में दर्ज चार केस, एक ही पैटर्न:
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अपराध क्रमांक 46/2025
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अपराध क्रमांक 82/2025
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अपराध क्रमांक 83/2025
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अपराध क्रमांक 84/2025
इन सभी मामलों में गिरोह की समान धोखाधड़ी की शैली सामने आई, जिससे पुष्टि हुई कि एक ही नेटवर्क के जरिए ये अपराध किए जा रहे थे।
पुलिस की चेतावनी और अपील:
फरसगांव पुलिस ने जनता से कड़ी चेतावनी के साथ अपील की है:
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लालच में आकर बैंक खाता, एटीएम, पासबुक या सिम किसी को न दें।
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ऐसे किसी भी कार्य में भागीदारी आपको साइबर अपराधी बना सकती है।
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जल्द ही गिरोह से जुड़े और नामों के उजागर होने की संभावना है।
