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भारतीय महिलाओं के चूड़ियां पहनने के पीछे भी है वैज्ञानिक कारण, क्या आपको है पता?

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Deepak Mittal

भारत अपनी परंपराओं और विश्वासों में गहराई से जुड़ा हुआ एक देश है, जहां की रंग-बिरंगी संस्कृति में रिवाज़ों को पूरे दिल से और दृढ़ विश्वास के साथ निभाया जाता है. इन सदियों पुरानी परंपराओं में, महिलाओं द्वारा कांच की चूड़ियां पहनने का रिवाज़ खास जगह रखता है, खासकर शादीशुदा महिलाओं के लिए. इसे लंबे समय से सुखी शादीशुदा जिंदगी और अच्छे पति का प्रतीक माना जाता है, लेकिन एक दिलचस्प सवाल उठता है. क्या इस प्यारी परंपरा के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार है? चलिए आज हम इसे जानने की कोशिश करते हैं.

चूड़ियां पहनने के पीछे वैज्ञानिक कारण

जब एक महिला शादी करती है, तो उसके दोनों हाथों पर खूबसूरती से बनाई गई चूड़ियां पहनाई जाती हैं. ये परंपरा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Quora पर लोगों की जिज्ञासा जगाती है. इस जिज्ञासा को शांत करने के लिए, इस रिवाज के पीछे के कारणों को समझने की कोशिश की गई.

कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि महिलाओं द्वारा चूड़ियां पहनने की परंपरा के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हो सकते हैं. एक वेबसाइट बताती है कि जब महिलाएं कलाई पर चूड़ियां पहनती हैं, तो वे आपस में रगड़ खाती हैं, जिससे रक्त का संचार अच्छा होता है. कुछ मान्यताओं के अनुसार, कलाई एक एक्यूप्रेशर बिंदु है जो महिला के शरीर में हार्मोनल संतुलन में योगदान देता है. ये प्रथा ऐतिहासिक रूप से पुरुषों में भी देखी गई थी.

दूर करते हैं निगेटिव एनर्जी

कुछ मान्यताएं चूड़ियों के चुनाव से जुड़ी हैं. महिलाएं अक्सर कांच की चूड़ियां पहनना पसंद करती हैं, क्योंकि माना जाता है कि ये निगेटिव एनर्जी को दूर भगाती हैं. देश के कई क्षेत्रों में, ये भी माना जाता है कि चूड़ियों की खनखनाहट अविवाहित महिलाओं के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह काम करती है, जो उन्हें दूसरों की बुरी नज़र से बचाती है. अलग-अलग रंग की चूड़ियों के भी अलग-अलग अर्थ होते हैं; उदाहरण के लिए, हरा रंग शांति का प्रतीक है, जबकि लाल रंग निगेटिव एनर्जी को दूर करने से जुड़ा हुआ है.

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Author: Deepak Mittal

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