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चिरमिरी के कोयला खदानों में लगी है आग… हजारों टन कोयला जलकर हो रहा राख…

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Deepak Mittal

चिरमिरी के कोयला खदानों में लगी है आग…
हजारों टन कोयला जलकर हो रहा राख…
वहीं करोड रूपयो की मशीनें प्रतिवर्ष जल कर हो रही है ख़ाक.

एसईसीएल प्रबंधन की उदासीनता के कारण पूरे चिरमिरी क्षेत्र में हो रहा है जहरीली गैसों का रिसाव…

 

कोयला उत्खनन में लगे ठेकेदार और प्रबंधन के बीच गहरी साठ गाठ,ठेकेदार मनमानी पर उतारू, श्रमिकों का कर रहा है निरंतर शोषण…

शोएब अख्तर ब्यूरो चीफ.नवभारत टाइम्स 24x 7.in 

   

शोएब अख्तर ब्यूरो चीफ.नवभारत टाइम्स 24x 7.in

     चिरमिरी….जिला एमसीबी के अंतर्गत आने वाले कोयलांचल चिरमिरी में हजारों टन कोयला जलकर राख हो रहा है उत्खनन क्षेत्र हो या वह क्षेत्र जिसमें अभी उत्खनन नहीं किया जा रहा है सभी इलाकों में कोयला जल रहा है वही एसईसीएल प्रबंधन चीर निद्रा में लीन है पूरे इलाके का वातावरण बड़े पैमाने में प्रदूषित हो चला है उत्खनन में कार्यरत मजदूर सांस की बीमारियों से पीड़ित है खदानों के आसपास रहने वाले लोग लगभग लोगों को जहरीली गैस की दुर्गंध से परेशान हैं प्रबंधन से इसकी शिकायत की जाती है लेकिन प्रबंधन के जिम्मेदार अधिकारी अपने टारगेट पूरा करने में लीन है बताया जाता है कि प्रतिवर्ष इन खदानों में मशीनों जल जाती है या फिर उन्हें जलाया जाता है यहां पर भी बड़े भ्रष्टाचार बू आती है, प्रबंधन की मनमानी चरम पर है क्षेत्र के नेताओं का एक समूह जल्द ही इस बड़ी समस्या के निराकरण के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भोपाल एवं डीजीएमएस के कार्यालय में शिकायत कर इस बड़ी समस्या की शिकायत कर निराकरण हेतु पहल करेगा*

 

*उल्लेखनीय रहे कि चिरमिरी क्षेत्र में कई में कार्यरत एसईसीएल कंपनी ने कोयला उत्खनन के लिए प्राइवेट कंपनियों को दिया है ये कंपनियां अपने निर्धारित अवधि में अपने दिए गए लक्ष्य की प्राप्ति के लिए खदानों में नियम की धज्जियां उड़ाते हुए कोयले का उत्खनन किया जा रहा है डीजीएमएस के द्वारा दिए गए निर्देशों का खुला उलंघन किया जा रहा है जहां पर ठेका माइनिंग कंपनियों मनमाने तरीके से कोयल का उत्खनन कर रहे हैं, गरीब और लाचार श्रमिकों का शोषण कर रही है मिली जानकारी के अनुसार श्रमिकों को एवं वाहन को संचालन करने वाले ऑपरेटर और ड्राइवर को बिना सुरक्षात्मक कवछ एवम अन्य उपयोगी सामग्रियों के बिना उत्खनन और परिवहन कराया जा रहा है जिस इलाके में कोयला उत्पादन किया जा रहा है वहां लगभग कोयला जल रहा है प्रबंधन उसमें नाइट्रोजन गैस का छिड़काव ना कर सिर्फ पानी डलवा कर लाचार और मजबूर ड्राइवर से जबरदस्ती काम करवाया जा रहा है यदि कोई ड्राइवर इस कार्य में अपने आपत्ति दर्ज करता है तो उसे तत्काल बाहर निकाल देने की धमकी दी जा रही है,, ज्ञात होगी पूरे चिरमिरी क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर में किसी अन्य प्रकार का रोजगार नहीं होने के कारण वह इन कंपनियों के शोषण के शिकार हो रहे हैं ऐसा नहीं है कि इन सभी चीजों की खबर श्रमिक संगठनों के पदाधिकारी को नहीं है वे श्रमिकों के शोषण को लेकर आंख में पट्टी बांधकर हाथ में हाथ धरे बैठे हैं और प्रबंधन से अपना टांका फिट रखने की जुगत में लगातार प्रयासरत रहते हैं संबंध खराब ना हो इसके लिए वे मजदूरों के शोषण के विरुद्ध आवाज नहीं उठाते यही वजह है कि वे इन श्रमिकों के हित में अपनी कोई अहम भूमिका नहीं निभा पाते,बेचारा श्रमिक ठेकेदार और प्रबंधन के शोषण का शिकार होते जा रहा है.!!!*

*वहीं दूसरी ओर कार्य के दौरान श्रमिकों का उत्खनन और परिवहन के दौरान बहुत सारे सुरक्षात्मक आदेश पर्यावरण एवं डीजीएमएस के अधिकारियों ने शक्ति से पालन करने के निर्देश दिए हैं एसईसीएल प्रबंधन के जिम्मेदार अधिकारी सुरक्षात्मक पहलुओं को भी दरकिनार कर कोयल का उत्खनन करवा रहे है चिरमिरी की खुली खदानों में कोयला में लगी आग का भयावह रूप देख कर भय का वाता वरण निर्मित हो जाता है ऐसा प्रतीक होता है कि आने वाले समय में कोई बड़ी घटना घट सकती है आग और गैस का रिसाव से ही अंजन हिल दुर्घटना घटित हुई थी जो चिरमिरी के इतिहास में सबसे काला दिन माना जाता है वहीं से चिरमिरी का भविष्य गर्त में चला गया है हालांकि उसमें प्रबंधन को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन अधिकारियों की नजर में वह नुकसान तो कंपनी का है इनका क्या जाता है यह सिर्फ और सिर्फ अपने लाभ के लिए अपनी पदोन्नति के लिए ही कार्य करते हैं और नियम विरूद्ध कार्य करने में कोई कसर नहीं छोड़ते कोयले में लगी आग से स्थानीय लोगों का भी पलायन लगातार होता जा रहा है लोग भयभीत हो चलें कभी कहीं जमीन बैठ जाती है तो कहीं भी किसी के आंगन से या उसके बेडरूम से एका-एक धुआं निकलने लगता है इन सब के बाद भी चिरमिरी एसईसीएल प्रबंधन से लेकर जिला प्रशासन निश्चिंत होकर बैठे हुए हैं वहीं प्रबंधन की लापरवाही के कारण राष्ट्र की संपत्ति कहे जाने वाले कोयला जलकर राख हो रहे हैं और एक और कोयला जल रहा है दूसरी ओर जलते हुए कोयले से धुआं और जहरीली गैस भी पर्यावरण को प्रदूषित कर रही है देखने वाली बात होगी कि आखिर कोयले में लगी आग पर नियंत्रण पाने के लिए कोयला कंपनी चिरमिरी का प्रबंधन कोई कदम उठाता है या फिर ऐसे ही काला हीरा कहे जाने वाला बेसकीमती कोयला जलकर खाक होता रहेगा..???

 शोएब अख्तर नवभारत टाइम्स 24x 7.in ब्यूरो चिरमिरी मनेद्रगढ़ प्रमुख

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Author: Deepak Mittal

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