लतीफ मोहम्मद नवभारत टाइम्स 24 x7in ब्यूरो प्रमुख गरियाबंद
क्या गरीब “आदिवासी” महिला की “कोख” हुई हैं चोरी? मौत के बाद शुरु हुआ जांच-जांच का खेला ?
नशे में धुत होकर जानवरों की तरह आदिवासी महिला का काटा पेट,बच्चा दानी निकालते समय काटी पेट की दूसरी नश
छुरा के लक्ष्मी नारायणा हॉस्पिटल का मालिक “ज्योति नारायण दुबे”आयुष्मान कार्ड से पैसे लूटने के बाद बाट रहा हैं मौत ?
*35 वर्षीय आदिवासी महिला को बच्चादानी में “कैंसर”होने का भय दिखाकर करवाया “नशेड़ी” डॉक्टर आशीष कुमार साहू से ऑपरेशन*
*गांव से लेकर सरकारी हॉस्पिटल तक तैनात हैं इस हॉस्पिटल के कमीशन एजेंट*
गरियाबंद:- डाक्टर भगवान का दूसरा रूप होते है ,ये कहावत बहुत पहले सुनने में बहुत अच्छी लगती थी, ओर वो सच में भगवान का रूप ही होते थे, क्यूंकि भगवान के बाद एक वोही तो थे जो इंसान को मौत के मुंह ने निकाल लेते थे ,लेकिन जैसे जैसे इंसान का लालच बड़ा वैसे वैसे डाक्टर की भगवान के रूप वाली परिभाषा बदल गई अब डाक्टरों के लिए पैसा कमाना है सब कुछ है किसी मरीज का जरा सा पेट हुआ तो सर्जरी कर दो किसी कि नॉर्मल डिलीवरी होनी है तो डरा कर सिजेरियन कर दो ओर तो ओर जो दवाई इनके हॉस्पिटल में मिलती है वो दूसरी कहीं जगह नहीं मिल सकती, कहीं ओर से कराया टेस्ट नहीं माना जाएगा दुबारा इन्हीं के लैब से कराओ, वगेरह वगेरह, ओर सबसे घिनौना रूप तो तब सामने आया जब कुछ साल पहले अंगो को तस्करी में कई नामी हॉस्पिटल और डाक्टर भी शामिल पाए गए , कुछ समय पहले तक में भी डाक्टरों को किसी दरिंदे से कम नहीं समझती थी, लेकिन कहते हैं ना कि हाथ की पांच उंगलियां एक बराबर नहीं होती ,और इंसान को उसके कर्मों का पश्चाताप करने का एक मौका भी मिलता है।वैसे तो आज पैसे कमाने के लिए लोग कई तरह से हथकंडे अपना रहे है, किन्तु किसी के जान के साथ खिलवाड़ कर पैसे कमाने वालों की आज बाजार में होड सी लग गई है। बता दे कि, केन्द्र सरकार व राज्य सरकार लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिये करोड़ों रूपये की सौगात दे रहे है। शासन द्वारा लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कराने की नीयत से ग्रामीण अंचलों चलो में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व उप स्वास्थ्य केन्द्र बनाये गये है। इसका उद्देश्य ग्रामीण अचल में लोगों को कम समय में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करना है। इसे लेकर शासन द्वारा एमबीबीएस डाक्टरों की नियुक्ति भी की गई है, लेकिन स्वास्थ्य केन्द्रों में डाक्टरों के न रहने से ग्रामीण अचल के लोग आज भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हो रहे है। सवाल यह उठता है कि क्या ग्रामीण अंचल के लोगों को एक अच्छी और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की दरकार नहीं है। हमेशा से ही ग्रामीण अंचल के लोगों को ही ठगा जा रहा है क्यों और कब तक ऐसा ही मामला जिला गरियाबंद के विकासखंड छुरा स्थित लक्ष्मी नारायणा हॉस्पिटल का हैं जहां
एक 29 वर्षीय आदिवासी महिला को बच्चे दानी में केंशर की बीमारी होने का भय दिखाकर बताकर एक नशेड़ी डॉक्टर से गलत तरीके से चीर फाड़ कर ऑपरेशन कर मौत के मुंह में ढकेल दिया गया हैं। बताना लाजमी होगा कि मामूली पेट दर्द के चलते ग्राम वार्ड क्रमांक 03 ग्राम कुल्हाडीघाट,मैनपुर जिला गरियाबंद निवासी श्रीमती गैन्दू बाई ध्रुव 29वर्षीय (परिजनो के बताए अनुसार)आदिवासी महिला को छुरा स्थित लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल में विगत दिनांक 08 अप्रैल 2024 को दाखिल किया गया था दाखिल पश्चात हास्पिटल संचालक ज्योति नारायण दुबे द्वारा व चिकित्सकों द्वारा सफल ईलाज होने का आश्वासन दिया, आश्वासन पश्चात श्रीमती गैन्दूबाई ध्रुव को दिनांक 11:04 2024 को सिटी स्कैन हेतु राजिम के डायग्नोसिस सेंटर ले जाया गया था। सिटी स्कैन बाद लक्ष्मी नारायण हास्पिटल संचालक व चिकित्सकों द्वारा गेंदू बाई के परिजनों को कहा गया था कि मरीज को हिस्टरेक्टमी यानी बच्चेदानी का कैंसर है इनका ऑपरेशन कर बच्चा दानी बाहर करना पड़ेगा नहीं तो मरीज की जान को खतरा है। मौके पर उपस्थित गेंदू बाई सास श्रीमती फुलवासन बाई से औपचारिकता पूर्ण करने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाया गया। क्यों कि उस समय पैसे की व्यवस्था करने गेंदू बाई का पति अपने गांव गया हुआ था।फुलवासन बाई और लक्ष्मी नारायणा हॉस्पिटल के
हमारे विश्वनीय सूत्र के अनुसार गेंदू बाई का ऑपरेशन निश्चेतना विशेषज्ञ नशेडी आशीष कुमार साहू द्वारा किया गया हैं। ऑपरेशन के पश्चात बच्चा दानी को गेदू बाई की सास फुलवासन बाई को दिखाते हुए कहा गया की इसे आगरा जांच के लिए भेजा जा रहा हैं। गेंदू बाई को ऑपरेशन के बाद दस से ग्यारह दिनों तक लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल में ही रखा गया था बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया था,उनके परिजनों द्वारा गेंदू बाई को उनके मायके ग्राम बेहराबूढ़ा ले जाया गया। ईलाज में कुछ प्रोग्रेस नहीं होने की वजह से लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल के संचालक व चिकित्सक को गेंदू बाई के परिजनों द्वारा संपर्क करने पर गेंदू बाई को रायपुर ले आओं ऐसा कहते हुए रायपुर स्थित नानक हास्पिटल में पुन दाखिल किया गया फिर से वही प्रोसेस सिटी स्कैन फिर जाच फिर डिस्चार्ज का सिलसिला चलते गया और अंतत आदिवासी महिला को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है ज्ञात हो की मृतक का पति भागीरथी मरकाम वाहन चालक हैं जिनके दो पुत्र एवं एक सुपुत्री गजेन्द्र मरकाम 19. कु अनिला मरकाम 14 कुबेर मरकाम 08 वर्ष के है।
*नशा का आदि हैं निश्चेतना विशेषज्ञ आशीष कुमार साहू निकाला जा चुका कई हॉस्पिटल से*:- स्वास्थ विशेषज्ञों की माने तो नशीली दवाओं का इंजेक्शन लगवाने से आपके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।परिणामस्वरूप,आमतौर पर हेरोइन,कोकीन और ओपिओइड , पेंटाजोशिन इंजेक्शन वाली दवाओं का मानव शरीर पर गंभीर दीर्घकालिक दुष्प्रभाव होता है। नशीली दवाओं का इंजेक्शन लगाना एक बहुत ही खतरनाक गतिविधि है क्योंकि यह जल्दी ही लत का कारण बन सकती है। इससे दीर्घकालिक दुष्प्रभाव बदतर हो सकते हैं और उन पर काबू पाना कठिन हो सकता है।जैसा कि निजी लक्ष्मी नारायणा हॉस्पिटल छुरा में पदस्थ निशचेतना विशेषज्ञ आशीष कुमार साहू जो की स्वयं एक नशेड़ी हैं जो कि अपने नशे के लिए हमेशा नशीले इंजेक्शन का उपयोग करता हैं। जिसके चलते इन्हे धमतरी सहित रायपुर के कई निजी हॉस्पिटल से नौकरी से निकाला जा चला हैं। लक्ष्मी नारायणा हॉस्पिटल के ही हमारे विश्वासनीय सूत्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार गेंदू बाई का ऑपरेशन करने से पहले खुद ने नशीले इंजेक्शन का प्रयोग किया जो कि उनकी आदत में शामिल है।जिसके द्वारा ही हॉस्पिटल संचालक ज्योति नारायण दुवे ने गेंदू बाई का ऑपरेशन करवाया।
*आशीष कुमार साहू नशेड़ी और निश्चेतना विशेषज्ञ ने गेंदू बाई का पेट चीरा जानवरों की तरह,गलती सुधारने किया तीन बार किया ऑपरेशन*:- लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल के हमारे विश्वनीय सूत्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार नशेड़ी आशीष कुमार साहू द्वारा ऑपरेशन के दौरान गेंदू बाई का पेट सीधे पेट को चीरा गया (जिसे आप फोटो में देख सकते हैं)और उसके बाद बच्चा दानी को बाहर निकाल लिया लेकिन ये निश्चेतना विशेषज्ञ होने के कारण इसे बच्चा दानी का ऑपरेशन करना नहीं आता है,इसने बच्चादानी बाहर निकालते वक्त पेट की कोई अन्य नश को काट दिया था। और पेट की सिलाई भी कर दिया था ऑपरेशन के बाद ज्योति नारायण दुवे ने जब गेंदू बाई के पेट को देखा तो नसेडी डॉक्टर आशीष कुमार साहू से ज्योति नारायण दुबे का इस बात को लेकर नसेड़ी आशीष कुमार साहू से विवाद भी हुआ था की तुमने पेट को इतना लंबा और नाभि के ऊपर क्यों चीरा जबकि बच्चादानी निकालने के नाभि से नीचे चीर फाड़ की जाती हैं तुम्हे समझ नहीं आ रहा था तो यूट्यूब देख लेना था। हालाकि हॉस्पिटल संचालक द्वारा समय समय पर बाहर से अलग अलग अलग बीमारी के लिए विशेषज्ञ को बुलाया जाता है। लेकिन गेंदू बाई के ऑपरेशन के लिए कोई विशेषज्ञ बाहर से नहीं बुलाया गया था लेकिन ऑपरेशन के दो दिन बाद गेंदू बाई का पेट फूलने लगा तब हॉस्पिटल संचालक ज्योति नारायण दुवे द्वारा सोनोग्राफी करवाया गया तब पता चला की गेंदू बाई के पेट की कोई अंदुरूनी नश ऑपरेशन के दौरान कट गई हैं तब पुनः फिर से नशेड़ी आशीष कुमार साहू को ऑपरेशन कर उस नश को सिलने कहा गया फिर नशेड़ी ने अपने आपको एक नशे का इंजेक्शन लगाया और फिर से गेंदू बाई का ऑपरेशन करने पहुंचा लेकिन इस बार नशेड़ी नशे में धुत होकर ऑपरेशन करते समय उस नश को नहीं सिला बल्कि लेट्रिंग की नश को सिल दिया और वो नश जो पहले के ऑपरेशन के समय काट दी गई थी उसे नही सिला उसके बाद गेंदू बाई को लेट्रिंग होना बंद हो गया तब पुनः हॉस्पिटल संचालक ज्योति नारायण दुबे को अवगत कराया गया तब पुनः चेकअप करने पर यहां बात का पता चला की गेंदू बाई फिर गलत ऑपरेशन हो गया हैं। जो नश काट दी गई थी वो सिली नही गई बल्कि उसके बदले में लेट्रिग मार्ग की नश को सिल दिया गया हैं। फिर ज्योति नारायण दुबे द्वारा निर्णय लिया गया की मल निकालने ऑपरेशन कर एक पाइप लगाया गया जिससे मल बाहर आ सकें इस तरह बार बार गेंदू बाई का ऑपरेशन किया गया जिस बजह से गेंदू बाई बहुत कमजोर हो चुकी थी और जीने की आश भी छोड़ने लगी थी क्योंकि वह बहुत कमजोर हो चुकी थी।
*लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल संचालक ज्योति नारायण दुवे ने आयुष्मान कार्ड के अलावा फोन पे व नगद जमा करवाया पैसा*:- सरकार की योजना आयुष्मान कार्ड से राशि की लूट का अड्डा बन चुके लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल में गेंदू बाई के परिजन द्वारा दिनांक 11.04 2024-लक्ष्मी हास्पिटल को फोन पे 400000, सिटी स्कैन राजिम को 4500.00.12.04 2024 को फोन पे 20000.00.15.04.2024 को 7000.00 नगद काउंटर में 18.04.2024 को 6500.00 नगद जमा।जो की नियम विरुद्ध है क्योंकि जब आयुषमान कार्ड से भुगतान लिया गया था तो लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल संचालक ज्योति नारायण दुबे द्वारा नगद व फ़ोन पे पर पैसा नही लेना था। हालांकि ज्योति नारायण दुबे का यहां गोरख धंधा वर्षो से चला आ रहा हैं,क्योंकि ज्योति नारायण दुबे द्वारा जिला गरियाबंद से लेकर राजधानी रायपुर तक प्रशासन और राजनैतिक आकाओं की भर पूर सेवा सत्कार किया जाता हैं।
*नानक हॉस्पिटल रायपुर का आयुष्मान कार्ड के अलावा फोन पे व नगद जमा*:-दिनांक 02.05.24-5000 नगद जमा व 8000.00 फोन पे 04.05.24 को 10000.00 नगद जना, 06.05.24 को 10000.00 नगद, सिटी स्कैन भवानी डायग्नोसिस्ट रायपुर को 6000.00 नगद जमा। 02.05.24 को आयुष्मान कार्ड से डिडक्ट का डिटेल्स 32000.00 निकाला गया।
*मृतक गैंदू बाई ध्रुव ने रायपुर के मेकाहारा में ली अंतिम सांस*:- जिस तरह से आदिवासी महिला के जिंदगी से ये लोग खेलते रहे है और अपना ज्ञान के साथ नए प्रशिक्षु को भी ज्ञान बढ़ाते रहे,जिसका नतीजा महिला की 10 मई 2024 को उनकी मौत हो गई और सबसे बड़ी बात सामने आई की मृतक का पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया और परिवार को सुपुर्द कर मामला कफन दफन कर दिया गया।
*सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बनीं गाइडलाइंस, बिना जांच ऑपरेशन पर रोक*:- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हिस्टरेक्टमी के लिए गाइडलाइंस बनी। अब 40 साल से कम उम्र की महिला का यूट्रस निकालने से पहले उसकी पूरी जांच होगी। हर जिले में एक मॉनिटरिंग कमिटी होगी,जो देखेगी कि वाकई महिला को ऑपरेशन की जरूरत है या नहीं। हिस्टरेक्टमी का हर केस दर्ज होगा। जिसमें महिलाओं की उम्र, गर्भाशय निकालने की वजह और हॉस्पिटल की पूरी जानकारियां शामिल होंगी। लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल संचालक ज्योति नारायण दुवे द्वारा सुप्रीम कोर्ट की आदेश से बनीं गाइडलाइंस का पालन नहीं किया गया। 35 वर्षीय गेंदू बाई की बच्चा दानी ऑपरेशन बाहर निकाल दिया गया,जबकि उन्हें उनकी बच्चा दानी में केंसर था तो उन्हें
लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल संचालक ज्योति नारायण दुवे किसी केंसर के हॉस्पिटल में रिफर करना था या केंसर विषेशज्ञ की निगरानी में उनका उपचार किया जाना था। अब सवाल यहां खड़ा होना लाजमी हैं की देश के सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देश का पालन न करते हुए छुरा के लक्ष्मी नारायणा हॉस्पिटल संचालक ज्योति नारायण दुवे के आदेश पर नशेड़ी डॉक्टर आशीष कुमार साहू द्वारा ऑपरेशन कर 35वर्षीय महिला की बच्चा दानी निकाल दिया गया हैं और परिजन को यह कहा गया हैं कि इसे जांच के लिए आगरा भेजा जायेगा अब जब गेंदू बाई इस बेरहम दुनिया को ही छोड़कर स्वर्ग सिधार गई हैं तो उनकी बच्चा दानी का लक्ष्मी नारायणा हॉस्पिटल संचालक ज्योति नारायण दुबे क्या करेगा?अब उन्हें कैंसर था या नहीं ऐ बात भी जांच का विषय बना हुआ हैं।
*भ्रष्टासूरों के गढ़ जिला गरियाबंद में शुरु हुआ जांच-जांच का खेला*:- बताते चले कि मैनपुर ब्लॉक के कुल्हाड़ीघाट निवासी भागीरथी मरकाम अपने तीन बच्चे ,मां और अन्य परिजनों के साथ जिला मुख्यालय पहुंच कलेक्टर और एस पी को ज्ञापन सौप न्याय की मांग किया है। निजी लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल अस्पताल द्वारा लापरवाही पूर्वक ऑपरेशन करने के कारण मौत का आरोप लगाया है। आयुष्मान कार्ड में उपचार शुरू होने के बावजूद नगद भी लिया। पीड़ितो ने अपराधिक प्रकरण दर्ज कर आवश्यक कार्यवाही करने की मांग किया है। भ्रष्टासूरों के गढ़ जिला गरियाबंद में पदस्थ सीएमएचओ गार्गी यदु का बयान भी सामने आया है जिसमे उन्होंने कहा कि एक्सपर्ट की राय लेनी चाहिए थी,परिजनों द्वारा लिखित ज्ञापन से पहले ही मामले की जांच उन्होंने शुरू कर दिया था। जांच शुरू करने से पहले 21 मई 2024 को ही लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल में से 12 ऐसे मरीजों को छुट्टी दे दी गई जिनके आयुष्मान कार्ड से पैसे लिए गए और परिजनों से भी नगदी पैसे लिए गए हैं। ऐसा इसलिए किया गया हैं की आयुष्मान कार्ड का जो गोरख धंधा ज्योति नारायण दुबे ने बनाकर रखा है उसका भांडा फोड़ न हो जाए जबकि गरियाबंद जिला अस्पताल समेत जिला के सभी सरकारी हॉस्पिटल में डॉक्टर से लेकर निचले कर्मचारी तक ज्योति नारायण दुवे के लिए कमीशन एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं।अगर इनके मोबाईल डिटेल खंगाली जाए तो कई बड़े राज के खुलासे होने की संभावना हैं। जांच में पहुंचने से पहले हॉस्पिटल संचालक ज्योति नारायण दुवे द्वारा अचानक एक दिन में 12 मरीजों को छुट्टी क्यों दिया ऐ भी जांच का विषय हैं। हालांकि जांच के इस खेल में जांच टीम छुरा के लक्ष्मी नारायण अस्पताल पहुंच डिटेल खंगाल रही है।सीएमएचओ ने कहा हैं कि आरंभिक जांच में लक्ष्मी नारायण अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है। बच्चा दानी में कैंसर के लक्षण के बाद ऑपरेशन से पहले एक्सपर्ट की ओपनियन नहीं लिया गया।ऑपरेशन ,भुगतान से लेकर अन्य बिंदुओं पर जांच की जा रही है।रिपोर्ट आने के बाद उच्च अधिकारियों के निर्देश अनुसार आवश्यक कार्यवाही की बात कही जा रही हैं।,,0000
लतीफ मोहम्मद नवभारत टाइम्स 24 x7in ब्यूरो प्रमुख गरियाबंद
