नव भारत टाइम्स 24 x 7 के ब्यूरो चीफ जे.के. मिश्रा की रिपोर्ट:
आरक्षित वर्गों के जाति प्रमाण-पत्रों की जांच की जाएगी, अब नहीं होगी गलती
नव भारत टाइम्स 24 x 7: कोलकाता हाईकोर्ट ने ओबीसी जाति प्रमाण-पत्रों को रद्द कर दिया है। ये प्रमाण-पत्र पिछले 10 सालों में बनाए गए थे, लेकिन अब उन्हें रद्द कर दिया गया है।
इस निर्णय का असर छत्तीसगढ़ में भी दिख रहा है। छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने भूपेश बघेल की पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान बने जाति प्रमाण-पत्रों की जांच करने का निर्णय लिया है।
नव भारत टाइम्स 24 x 7 के ब्यूरो चीफ जे.के. मिश्रा की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने पिछले पांच सालों में बने जाति प्रमाण-पत्रों की जांच के निर्णय पर अब सियासी हलचल मचा दी है।
इस मामले में विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला है, जबकि गृहमंत्री विजय शर्मा ने भी कांग्रेस की पिछली सरकार पर निशाना साधा है।नव भारत टाइम्स 24 x 7 के ब्यूरो चीफ जे.के. मिश्रा की रिपोर्ट में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में जाति प्रमाण-पत्रों की जांच को लेकर विपक्ष ने सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उनका कहना है कि बीजेपी की सरकार आरक्षित वर्गों के विरोधी है।उन्होंने कहा, “ये सरकार SC, ST, OBC के विरोध में काम कर रही है।” इसके साथ ही उन्होंने फर्जी प्रमाण-पत्रों के मामले में भी सरकार को निशाना साधा।इस रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ में पिछले 5 सालों में बने गए जाति प्रमाण-पत्रों की जांच के फैसले के बाद काफी शिकायतें सामने आई हैं। इन शिकायतों के बाद जांच कराने का निर्णय लिया गया है।यहां तक कि दिप्ति सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में पिछले 5 सालों में बने गए फर्जी प्रमाण-पत्रों की जांच की जाएगी।इस संबंध में भूपेश बघेल ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि जब से छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार बनी है, तबसे जाति प्रमाण-पत्र बनाना ही बंद हो गए हैं।विजय शर्मा ने भी उनकी युवा अवस्था में आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार लोगों को जांच के नाम पर गुमराह करना चाहती है।नव भारत टाइम्स 24 x 7 के ब्यूरो चीफ जे.के. मिश्रा ने रिपोर्ट किया है कि कोलकाता हाईकोर्ट ने हाल ही में बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद पश्चिम बंगाल में जो भी ओबीसी सर्टिफिकेट बने हैं, वे सभी रद्द कर दिए गए हैं।कोर्ट ने 2010 के बाद दिए गए सभी प्रमाण-पत्रों को रद्द करने का आदेश जारी किया है। यह फैसला ममता बनर्जी की सरकार के समय में आया है, जो कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं।
