अवैध शराब की तस्करी करते एक आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार,मनेंद्रगढ़ कोतवाली पुलिस की कार्यवाही.
करोड़ों रुपए का राजस्व देने वाला आबकारी विभाग के अधिकारी,,,कर्मचारी नहीं होने का रोते हैं रोना.
ठेका कर्मचारियों के भरोसे चल रहे हैं आबकारी विभाग का नाका, नाके में कार्यरत ठेका कर्मचारियों की स्थिति संदिग्ध.!!!
एम सी बी…मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का सीमावर्ती जिला होने के कारण मध्य प्रदेश से बड़े पैमाने में छत्तीसगढ़ शराब खपाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है बीती रात एक युवा को मनेद्रगढ़ पुलिस ने गश्ती के दौरान गिरफ्तार किया है पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार आबकारी एक्ट के तहत कार्यवाही कर जेल पर भेजने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है
उल्लेखनीय रहे कि मनेद्रगढ़ जिले में एक बहुत बड़ा वर्ग जो सिर्फ मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ शराब तस्करी कर वाने में मुस्तैद है यह सक्रिय गो का सरगना हर बार नए नवेले युवकों की खोज कर कोरबा कोरिया सूरजपुर अंबिकापुर जैसे जिलों में शराब खपाने का कार्य करने की जु गत में लगातार सक्रिय रह रहा है इसी क्रम में यह नए-नए युवाओ को थोड़ा लालच देकर फसाते हैं और उनसे तस्करी करवाते हैं कहेने को तो यह भी कहा जा रहा है कि जिन जिन लोगों की जिम्मेदार आबकारी विभाग सहित अन्य भ्रष्ट अधिकारियों से सेटिंग है उनका शराब दिन रात धड़ल्ले से छत्तीसगढ़ प्रदेश में प्रवेश कर रही हैं और प्रतिदिन हुए लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं.!!!
*आखिर क्यों लाई जाती है छत्तीसगढ़ में मध्य प्रदेश की अवैध शराब.???*
सुरा प्रेमियों के मुताबिक मध्य प्रदेश की शराब छत्तीसगढ़ की अपेक्षा सस्ती होती है और गुणवत्ता में भी कई गुना अंतर होता है छत्तीसगढ़ के शराब दुकानों में मिलने वाली शराब में शराब दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों के द्वारा बड़े पैमाने में पानी मिलाया जाता है जिसकी वजह से शराब की गुणवत्ता में काफी गिरावट आ जाती है यही वजह है कि मध्य प्रदेश की शराब छत्तीसगढ़ के शूरा प्रेमी पसंद करते हैं और उसकी डिमांड लगातार बनी रहती है छत्तीसगढ़ के रेट में मध्य प्रदेश की शराब आसानी से उपलब्ध हो जाती है और गुणवत्ता भी काफी अच्छी होती है इस वजह से या शराब धोने का अवैध कारोबार छत्तीसगढ़ में जोर-शोर से चल रहा है दोनों प्रदेशों के बेरोजगार युवकों को रोजगार देने के नाम पर इस धंधे पर फसाया जाता है और जमकर शराब तस्करों द्वारा काली कमाई की जाती है आबकारी विभाग भी नाका बनाकर बैठा है, प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड्स के द्वारा बॉर्डर पर परिवार सहित जाने वालों को जानबूझकर रोका जाता है और भाई बनाया जाता है वही जो लोग तस्करी करते हैं उनसे उनकी सेटिंग होती है और उसकी गाड़ियों को नहीं चेक किया जाता है या सिलसिला घुटरी टोला बैरियर में आए दिन देखने को मिलेगा स्थानीय एक कर्मचारी के मुताबिक उन्हें मात्र 8 रुपए महीना दिया जाता है, एक कर्मचारी ने बताया कि आप ही बताइए 8000 में क्या होता है कुछ ना कुछ इधर-उधर करने से ही घर का गुजारा चल सकेगा इसलिए कई बार हम लोग नजरअंदाज भी करते हैं और सब गाड़ियों को चेक नहीं करते.!!!
