जहाँ कभी गूँजती थी गोलियों की आवाज़, अब गूँज रही है बच्चों की पाठशाला—माओवादी प्रभावित सुरपनगुड़ा में शिक्षा की नई सुबह

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Deepak Mittal

रायपुर, 10 सितम्बर 2025।
माओवादी प्रभाव वाले सुरपनगुड़ा गाँव (जिला सुकमा) में अब बदलाव की बयार बह रही है। घने जंगलों और पहाड़ों के बीच बसे इस गाँव में जहाँ कभी शिक्षा का सपना अधूरा लगता था, वहीं अब बच्चों की आँखों में उम्मीद की चमक लौट आई है।

पहले यहाँ बच्चों की पढ़ाई सिर्फ शिक्षादूतों पर निर्भर थी। नियमित शिक्षक न होने से अभिभावक भी बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित रहते थे। लेकिन मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की मंशा अनुरूप लागू की गई युक्तिकरण योजना ने इस समस्या को दूर कर दिया। अब सुरपनगुड़ा प्राथमिक शाला में नियमित शिक्षक नियुक्त हुए हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था मजबूत हुई है।

📚 शिक्षा का नया अध्याय:

  • बच्चों को अब निरंतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है।

  • मध्यान्ह भोजन योजना से बच्चों को पोषण के साथ पढ़ाई का लाभ मिल रहा है।

  • अभिभावक अब बच्चों को स्कूल भेजने के लिए उत्साहित हैं।

  • बच्चे सपनों को नया आकार देने में जुट गए हैं।

यह पहल न सिर्फ सुरपनगुड़ा के लिए, बल्कि पूरे माओवादी प्रभावित इलाक़ों के लिए एक बड़ा संदेश है—जहाँ कभी भय का साया था, वहाँ अब शिक्षा का दीप जल रहा है।

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Author: Deepak Mittal

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