डोंगरगढ़/रायपुर। अम्मान (जॉर्डन) में आयोजित 9वीं एशियाई जुजित्सु चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ की बेटी राणा वसुंधरा सिंह ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीतकर न सिर्फ राज्य का बल्कि देश का भी नाम रोशन किया है। डोंगरगढ़ निवासी वसुंधरा ने -63 किलोग्राम वर्ग में नेवाजा, फाइटिंग सिस्टम, और मिक्स डुओ फाइटिंग इवेंट्स में भाग लिया। उन्होंने वियतनाम, जॉर्डन, कजाखस्तान और थाईलैंड की प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के खिलाफ मुकाबले करते हुए यह सफलता हासिल की।
वसुंधरा के प्रशिक्षक और उनके पिता राणा अजय सिंह, जो स्वयं एक राष्ट्रीय पदक विजेता हैं, लगातार जॉर्डन से वीडियो कॉल के माध्यम से हर मैच के दौरान उन्हें तकनीकी सलाह और मार्गदर्शन देते रहे। उनके निरंतर सहयोग और वसुंधरा की मेहनत का ही परिणाम है कि उन्हें फाइटिंग सिस्टम में एशिया में चौथी रैंक प्राप्त हुई है।
सम्मान समारोह में हुआ भव्य स्वागत
नई दिल्ली एयरपोर्ट पर भारतीय दल के लौटने पर भव्य स्वागत किया गया। छत्तीसगढ़ से प्रतियोगिता में भाग लेने वाले वसुंधरा और जतिन राहुल जब रायपुर एयरपोर्ट पहुंचे, तो जिला संघ ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इसके बाद राजनांदगांव के दिग्विजय स्टेडियम और डोंगरगढ़ में भी स्वागत समारोह आयोजित किए गए। डोंगरगढ़ पहुंचकर वसुंधरा ने मां बमलेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लिया।
इस अवसर पर प्रदेश संघ अध्यक्ष जितेंद्र शर्मा, जिला संघ अध्यक्ष विवेक मोनू भंडारी, अचला ठाकुर, तरुण वरकड़े, बाबूराव जनबंधु सहित कई खेल प्रेमियों ने वसुंधरा के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
बचपन से ही प्रतिभाशाली
राणा वसुंधरा सिंह बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं। मात्र 6 वर्ष की उम्र में उन्होंने मार्शल आर्ट की दुनिया में कदम रखा था। राष्ट्रीय स्तर पर वसुंधरा ने कई स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक हासिल किए हैं। वर्ष 2024 में उन्हें यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप (ग्रीस, यूरोप) के लिए भारतीय टीम में चयनित किया गया था, लेकिन वीजा न मिलने के कारण वे इसमें भाग नहीं ले सकीं।
हाल ही में उन्होंने हल्द्वानी (उत्तराखंड) में आयोजित 10 दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में दो अंतरराष्ट्रीय कोचों से विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया। अब उनका चयन नवंबर में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भारतीय दल में भी हो चुका है, जिसके लिए अगला कैंप अगस्त माह में नोएडा (उत्तर प्रदेश) में आयोजित किया जाएगा।
राणा वसुंधरा सिंह की यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ की बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके संघर्ष, लगन और अनुशासन ने यह साबित कर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी छत्तीसगढ़ की प्रतिभाएं किसी से कम नहीं।
