उत्तराखंड के चार धामों में से तीन धाम गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो चुके हैं, अब 25 नवंबर को भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए विधिवत रूप से बंद किए जाएंगे.
इसके साथ ही चारधामों की शीतकालीन यात्रा का शुभारंभ होगा.
प्रदेश सरकार ने शीतकालीन पूजा स्थलों पर श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध किए हैं, ताकि तीर्थयात्री सर्दियों में भी दिव्य दर्शन और पूजा-अर्चना का लाभ सुगमता से उठा सकें. पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि शीतकाल के दौरान भारी बर्फबारी के कारण देवस्थानों में पहुंचना कठिन हो जाता है, इसलिए चारधाम के देवताओं की पूजा उनके शीतकालीन स्थलों पर की जाती है.
शीतकालीन यात्रा का होगा शुभारंभ
भगवान केदारनाथ की पूजा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में, बदरीनाथ की पूजा पांडुकेश्वर योगध्यान बद्री मंदिर में, मां गंगा की पूजा गंगोत्री के मुखबा गांव में और मां यमुना की पूजा खरसाली गांव में की जाती है. महाराज ने कहा कि ये स्थल श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल में भी खुले रहेंगे, ताकि वे बिना किसी कठिनाई के दर्शन कर सकें.
मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार ने चारधाम यात्रा को सुचारू और सफल बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए हैं. मानसून सीजन में आए अवरोधों के बावजूद इस वर्ष यात्रियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है.
उन्होंने कहा कि इस वर्ष अब तक चारधाम यात्रा में लगभग 50 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं, इनमें केदारनाथ में 17 लाख, बदरीनाथ में 15 लाख, गंगोत्री में 7.5 लाख और यमुनोत्री में 6.5 लाख से अधिक तीर्थयात्री शामिल हैं.
पीएम मोदी को दिया धन्यवाद
महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने की प्रेरणा दी. इसी दिशा में सरकार ने सर्दियों के मौसम में राज्य के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में पर्यटकों के ठहरने के लिए होटलों में 50 प्रतिशत तक की छूट देने का निर्णय लिया है.
मंत्री ने कहा कि शीतकालीन पूजा स्थलों पर धार्मिक गतिविधियों के साथ-साथ स्थानीय सांस्कृतिक आयोजनों को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा, जिससे प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को नई दिशा मिलेगी.
सतपाल महाराज ने कहा कि चारधाम यात्रा उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था और आस्था दोनों का प्रतीक है. सरकार के सुनियोजित प्रयासों और सभी विभागों के सहयोग से यह यात्रा इस वर्ष भी रिकॉर्ड स्तर पर सफल रही है.
Author: Deepak Mittal









