नेहरू-इंदिरा से लेकर अटल तक. लाल किले से बोलने का रिकॉर्ड, पीएम मोदी के आगे नहीं टिकता कोई, कौन कितना बोला?

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स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक का सबसे लंबा भाषण दिया था. इसमें उन्होंने लगातार 103 मिनट तक देश को संबोधित किया. कांग्रेस की तरफ से इस भाषण को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे थे.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पीएम मोदी के इस भाषण बासा बताया था. अब इस पूरे मामले पर बीजेपी ने पलटवार किया है और कहा कि उन्होंने विश्लेषण करते हुए कहा कि जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले से औसतन 20 मिनट का ही भाषण दिया जबकि पीएम मोदी औसतन एक घंटे बोला करते हैं. इसके अलावा भी हर मुद्दे पर पीएम मोदी ने अपनी बात रखी है.

बीजेपी ने आंकड़ें शेयर करते हुए लिखा कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के औसतन 15 और 25 मिनट में अपने भाषण निपटा दिया करते थे, वहीं पीएम मोदी ने 1 घंटे से ज्यादा समय दिया. ऐसा प्रतीत होता है कि देश जब गरीबी, बेरोजगारी, कृषि और शिक्षा जैसे मुद्दों से जूझ रहा था, तब नेहरू और इंदिरा ने भाषणों को महज औपचारिकता मानकर कम समय दिया.

बीजेपी ने तंज कसते हुए कहा कि लोग इतना इंतजार को खाने की डिलीवरी के लिए किया करते हैं. उन्होंने कहा कि 1963 की जंग के बाद कोई भी डिटेल भाषण नहीं दिया गया. जबकि पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 103 मिनट तक खड़े होकर भाषण दिया है. मंच नहीं बदला; इरादा बदल गया.

 

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से दिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के भाषणों की बात करें तो उन्होंने 17 बार भाषण दिया है. इन भाषणों में उन्होंने कुल मिलाकर 400 मिनट भाषण दिया है. 1954 में 14 मिनट, 1959 में 18 मिनट और 1962 में 16 मिनट का भाषण दिया.

इसके अलावा इंदिरा गांधी की बात की जाए तो उन्होंने 16 पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया है. कुल मिलाकर उन्होंने 504 मिनट भाषण दिया है. डिटेल की बात की जाए तो उन्होंने 1966 में 14 मिनट, 1971 में 25 मिनट और 1973 में 25 मिनट का समय लिया. राजीव गांधी ने 1985 में 31 मिनट का भाषण दिया था.

अटल बिहारी बाजपेयी की बात की जाए तो उन्होंने लाल किले से को 6 बार संबोधित किया है. इन 6 भाषणों को मिलाकर उन्होंने कुल 177 मिनिट देश को संबोधित किया था.

बीजेपी ने तंज कसते हुए कहा कि इन आंकड़ों से ऐसा प्रतीत होता है कि देश जब नया-नया आजाद हुआ था और गरीबी, रोजगार, कृषि, युवा कौशल और शिक्षा जैसे मुद्दों से जूझ रहा था, तब नेहरू और इंदिरा ने भाषणों को महज औपचारिकता माना था. नेहरू ने कभी-कभी मात्र 15 मिनट में भाषण खत्म कर दिया, जबकि इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड भी इससे बेहतर नहीं था. उन्होंने केवल औपचारिकताएं निभाई हैं.

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Author: Deepak Mittal

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