एग्रीस्टेक पोर्टल हुआ अद्यतन, अब फार्मर रजिस्ट्री होगी तत्काल अप्रूव्ड
भुइयां और पीवी ऐप से सुधार की मिली सुविधा, किसानों को नहीं करनी होगी प्रतीक्षा
तकनीकी समस्याओं के समाधान के लिए हेल्प डेस्क नंबर 9617532143 जारी
निर्मल अग्रवाल ब्यूरो प्रमुख मुंगेली 8959931111
मुंगेली/ कलेक्टर कुन्दन कुमार के मार्गदर्शन में किसानों के शत प्रतिशत पंजीयन एवं धान खरीदी प्रक्रिया को सुचारू बनाए रखने के लिए सतत मॉनिटर आवश्यक दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं। इसी क्रम में कृषि विभाग ने किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एग्रीस्टेक पोर्टल और धान पंजीयन से जुड़ी तकनीकी समस्याओं के निराकरण हेतु कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि जिन खसरों में धान के स्थान पर बासमती की प्रविष्टि दिखाई दे रही थी, उनमें सुधार की प्रक्रिया जारी है और यह कार्य कल तक पूर्ण कर लिया जाएगा। ऑटो अप्रूवल हेतु लंबित फार्मर रजिस्ट्री, जो पहले 48 घंटे में स्वीकृत होती थी, अब तत्काल अप्रूव्ड करने का प्रावधान किया गया है। साथ ही डिजिटल क्रॉप सर्वे एवं मैन्युअल गिरदावरी में छूटे हुए सभी खसरे अब पीवी ऐप में प्रदर्शित होंगे।
भुईयां पोर्टल में जीरो प्रविष्टि वाले खसरों में अब सुधार का विकल्प केवल पीवी ऐप से उपलब्ध रहेगा। वहीं जिन खसरों में फसल सही चुनी गई है लेकिन रकबा कम दर्शाया गया है, उनका भी समाधान पीवी ऐप से किया जा सकेगा।
विभाग ने स्पष्ट किया है कि केवल वही खसरे पीवी ऐप में वेरिफिकेशन हेतु प्रदर्शित होंगे जो धान पंजीयन समिति में पंजीकृत हैं। किसान का नया पंजीयन एवं अपडेटेड फॉर्मर रजिस्ट्री (यू.एफ.आर.) से संबंधित कार्य तहसीलदार आईडी से पोर्टल में और एप्लिकेशन में पृथक-पृथक वेरिफिकेशन एवं अप्रूवल की प्रक्रिया से पूर्ण होंगे।
डिजिटल क्रॉप सर्वे में जिन खसरों को हार्वेस्टेड दर्शाया गया है और जिनका डेटा शो नहीं हो रहा है, उनमें भी शीघ्र सुधार किया जाएगा। जिन किसानों का निधन हो चुका है, उनके वारिशों का नाम भुईयां में दर्ज होने पर संबंधित खसरा अब वारिशान के फार्मर आईडी से जोड़ा जा सकेगा।
जिन किसानों का मोबाइल नंबर आधार से लिंक नहीं है, उनके लिए फेस रीड ऑप्शन के माध्यम से पंजीयन की सुविधा दी गई है। वन अधिकार पट्टा धारक किसानों को बिना फार्मर रजिस्ट्री के धान विक्रय की अनुमति शासन द्वारा प्रदान की गई है। फार्मर रजिस्ट्री से जुड़ी समस्याओं के निराकरण हेतु हेल्प डेस्क नंबर 9617532143 जारी किया गया है, जहां किसान अपनी तकनीकी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
कलेक्टर ने किसानों से अपील की है कि वे पोर्टल और ऐप के नवीनतम संस्करण का उपयोग करें तथा किसी भी प्रकार की तकनीकी समस्या की स्थिति में हेल्प डेस्क से संपर्क करें, ताकि पंजीयन एवं धान विक्रय की प्रक्रिया सुचारू रूप से जारी रह सके।
Author: Deepak Mittal









