नई दिल्ली: भारत की ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के मुरीद एयरबेस पर किए गए हमले के सात महीने बाद वहां बड़े पैमाने पर मरम्मत और पुनर्निर्माण का काम शुरू हो गया है। नई सैटेलाइट तस्वीरों में देखा गया कि एयरबेस की कमांड और कंट्रोल बिल्डिंग पूरी तरह तिरपाल से ढंकी हुई है, जिसे मई के हमले में निशाना बनाया गया था।
हमले के बाद का हाल:
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मई में हमले में इमारत की छत का कुछ हिस्सा गिर गया था।
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जून में सैटेलाइट तस्वीरों में केवल एक हिस्सा हरे तिरपाल से ढका दिखाई दिया था।
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अब पूरी इमारत बड़े तिरपाल और निर्माण जाल से ढंकी हुई है, जिससे मरम्मत या पुनर्निर्माण की प्रक्रिया का संकेत मिलता है।
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सेनाएं अक्सर ऐसे तिरपाल का उपयोग सैटेलाइट निगरानी से नुकसान छिपाने और संवेदनशील मरम्मत कार्य के लिए करती हैं।
हथियार और रणनीति:
विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारतीय वायुसेना ने पैनेट्रेटर वारहेड वाली मिसाइल का इस्तेमाल किया हो सकता है, जो छत को भेदकर अंदर विस्फोट करती है, जिससे इमारत के भीतर अधिक नुकसान होता है।
मुरीद एयरबेस का महत्व:
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पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित यह बेस पाकिस्तान वायुसेना के ड्रोन और UCAV ऑपरेशन का मुख्य केंद्र है।
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यहां से शाहपर, बुर्राक, तुर्की के बायरकतर TB2/अकिनजी और चीनी विंग लूंग-II जैसे ड्रोन संचालित होते हैं।
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ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान के कई एयरबेस को निशाना बनाया था, जिसमें मुरीद एयरबेस प्रमुख था।
पाकिस्तान के अन्य एयरबेस की स्थिति:
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सरगोधा (मुशाफ), रहीम यार खान, जैकबाबाद, भोलारी, सुक्कुर और नूर खान एयरबेस पर भी मरम्मत चल रही है।
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जैकबाबाद में F-16 विमान, भोलारी में AWACS विमान और सुक्कुर में ड्रोन हैंगर को नुकसान हुआ था।
इतिहास और नाम:
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मुरीद एयरबेस का नाम शहर के नाम पर रखा गया है, किसी व्यक्ति के नाम पर नहीं।
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स्थापना: अंग्रेजों द्वारा 1942 में RIAF स्टेशन के रूप में; 2014 में PAF द्वारा मुख्य परिचालन बेस में उन्नत।
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यह बेस UAV और UCAV बेड़े के लिए पाकिस्तान एयरफोर्स का महत्वपूर्ण केंद्र है।
इस प्रकार, ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के ड्रोन संचालन क्षमताओं को ठेस पहुंचाई थी, लेकिन अब सात महीने बाद वहां संरचनात्मक सुधार और पुनर्निर्माण शुरू हो चुका है।
Author: Deepak Mittal










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