मिनीमाता कन्या महाविद्यालय में हुई विकसित छत्तीसगढ़ पर संगोष्ठी

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निर्मल अग्रवाल ब्यूरो 8959931111

शहर के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान शासकीय मिनीमाता कन्या महाविद्यालय कोरबा में छत्तीसगढ़ रजत जयंती महोत्सव 2025 के अंतर्गत विकसित छत्तीसगढ़@2047 विषय पर संगोष्ठी का सफ़ल आयोजन किया गया। जिसमें शहर की नामी हस्तियों ने अपना व्यक्तव्य दिया।

कार्यक्रम संयोजक हिंदी विभागअध्यक्ष संध्या पांडेय ने बताया कि जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष वर्षा दिनेश वैष्णव के मुख्य आतिथ्य व महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अंजना सिंह, प्रख्यात कवि हीरामणी वैष्णव व शासकीय ई. वी. पीजी महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. दिनेश श्रीवास व भूतपूर्व छात्राएं गायत्री कुर्रे व रेणुका चंद्रा बतौर अतिथि वक्ता आमंत्रित रहे।

संध्या पांडेय ने सर्वप्रथम स्वागत उद्बोधन व संगोष्ठी का मुख्य विषय बताते हुए विकसित छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े उदाहरण के रूप महाविद्यालय के विकास को ही इंगित करते हुए कहा कि एक कमरे व मात्र 13 छात्राओं से प्रारंभ महाविद्यालय का विकास वर्तमान विशाल भवन व प्रांगण सहित हज़ारों छात्राओं तक होना बताया।

मुख्य अतिथि व पार्षद वर्षा दिनेश वैष्णव ने अपने वक्तव्य में छत्तीसगढ़ के विकास में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के दूरदर्शी सोच व कार्य प्रणाली की प्रशंसा करते हुए नित नए आयाम बढ़ाने की बात कही। जबकि प्राचार्य डॉक्टर राजेंद्र सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में छत्तीसगढ़ के दशा एवं दिशा पर विस्तृत चर्चा करते हुए कोरबा के पूर्व वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।

इसी तारतम्य में वरिष्ठ साहित्यकार एवं समाज सेवी डॉ अंजना सिंह ने कविता के माध्यम से प्रदेश की सांस्कृतिक, सामाजिक एवं प्राकृतिक मूल्यों की अवधारणा से विज़न 2047 पर उद्बोधन दिया। तो बालको कर्मचारी कवि हीरामणी वैष्णव ने कहा कि छत्तीसगढ़ का विकास न केवल भारत बल्कि पूरे एशिया में अपने खनिज संसाधनों व विद्युत उत्पादन से अपनी एक अलग पहचान बना रहा है जो 2047 तक वैश्विक रूप से अपनी एक पृथक पहचान कायम कर चुका होगा।

जनभागीदारी सदस्य डॉ. दिनेश वैष्णव ने प्रदेश के उद्योग, कृषि, संस्कृति, पर्यटन, जैविक उत्पाद, इंफ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन, हेल्थ और मैन्युफैक्चरिंग पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। जबकि प्राध्यापक डॉ. दिनेश श्रीवास ने अविभाजित छत्तीसगढ़ जो पहले मध्य प्रदेश हुआ करता था उस पर अपना वक्तव्य देते हुए छत्तीसगढ़ के संपूर्ण विकास के क्रम पर प्रकाश डालकर आने वाले समय में प्रदेश 2047 में स्वयं को कहाँ देख पा रहा है उसे स्पष्ट किया।

कार्यक्रम का सफल संचालन क्रीड़ा विभाग की प्राध्यापक अनिमा तिर्की ने किया जबकि इस कार्यक्रम को सफ़ल बनाने में डॉ पापीया चतुर्वेदी, डॉ ए पी सिंह, डॉ पी के सिन्हा, डॉ विनोद कुमार साहू, डॉ श्रेणी दिवाकर, वर्षा सिंह तंवर, मोनिका मिंज,अमिता सक्सेना, मीनाक्षी शांडिल्य, डॉ श्वेता पाठक, डॉ उषा लहरे, डॉ मंदाकिनी चन्द्रा, मुकेश श्रीवास, डिंपल ठाकुर, मालती साहू सहित अन्य प्राध्यापकगण व कर्मचारियों का विशेष योगदान रहा।

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