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स्कूलों के शिक्षक नेटवर्क मार्केटिंग एजेंट बनने की राह में

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आरंगः प्रदेश में शासकीय शिक्षकों के नेटवर्क मार्केटिंग एजेंट बनने की लगातार खबरों के बीच आरंग में भी बड़ी संख्या में शिक्षकों के नेटवर्क मार्केटिंग एजेंट बनने की जानकारी मिल रही है। स्कूल में बच्चों को पढ़ाना छोड़ कर ये लापरवाह शिक्षक नेटवर्क मार्केटिंग का एजेंट बनकर इसके फायदे बता रहे है। आरंग के कई शिक्षक विभाग को बिना जानकारी के मुख्यालय छोड़ कर नेटवर्क मार्केटिंग वाली कंपनियों के सेमिनार और पार्टी में शामिल हो रहे है। ऐसे में स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

आरंग क्षेत्र में ऐसे कई शिक्षक है जो स्कूल की गतिविधियों को छोड़ कर आने नेटवर्क मार्केटिंग की फोटो सोशल मीडिया में अपलोड करते है। सेहत से जुड़े कई कंपनियों में लाभ कमाने के लालच में ये शिक्षक स्कूल में सफाई कर्मचारियों और माध्यम भोजन बनाने वाली रसोईयों तक को नहीं छोड़ रहे। सभी को अपनी कंपनी को जोड़ कर अच्छा खासा कमीशन और टूर पैकेज पा रहे है। शासन से अच्छी सैलरी मिलने के बावजूद कई शिक्षक दूसरे कामों में संलिप्त हो रहे हैं। वे स्कूल में बच्चों को पढ़ाना छोड़कर नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियों और निजी कंपनियों के एजेंट बन गए हैं।

स्कूल शिक्षा विभाग के कई शिक्षक अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाही बरतते हुए ज्यादा पैसा कमाने की लालच में नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियों से जुड़कर बतौर एजेंट काम कर रहे हैं। इसके अलावा वे स्कूली बच्चों के अभिभावकों को भी नेटवर्क मार्केटिंग, कंपनियों से जुड़ने के लिए बच्चों के माध्यम से दबाव बना रहे हैं। पैसा कमाने के लिए निजी कंपनियों के प्रचार में जुटे शिक्षक बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसा मामला सबसे पहले रायगढ़ जिले में सामने आया। तब वहां के डीईओ ने पत्र जारी कर शिक्षकों को सख्त हिदायत दी थी। बावजूद इसके जांजगीर जिले और बिलासपुर से भी ऐसी जानकारी सामने आयी। अब आरंग में भी इस तरह की जानकारी आ रही है। अब देखने वाली बात है कि ऐसे एजेंट शिक्षकों पर शिक्षा विभाग कब कार्रवाई करता है।

संकलनकर्ता – रोशन चंद्राकर

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Author: Deepak Mittal

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