जे के मिश्र / बिलासपुर – छत्तीसगढ़ के कटघोरा वन मंडल में कैंपा (कम्पेन्सटरी अफॉरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी) के अंतर्गत करोड़ों रुपये के रॉयल्टी घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। यह घोटाला वर्ष 2019 से 2022 के बीच हुआ, जिसमें रॉयल्टी की पर्ची न होने के बावजूद बिलों का भुगतान कर दिया गया। मरवाही वन मंडल के साथ-साथ कटघोरा वन मंडल भी अब इस गंभीर अनियमितता के घेरे में है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ठेकेदारों के साथ मिलकर विभाग के कई अधिकारियों और कर्मचारियों ने बिना रॉयल्टी पर्ची लिए ही भुगतान किया, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ।
नियमों की अनदेखी, बड़ी चूक
नियमों के अनुसार, अगर किसी ठेकेदार द्वारा खनिज सामग्री जैसे गिट्टी, मुरूम, बोल्डर, रेत, पत्थर का बिल वन विभाग में प्रस्तुत किया जाता है और उसकी रॉयल्टी पर्ची नहीं जमा की जाती है, तो विभाग को भुगतान रोकना होता है। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। मरवाही और कटघोरा वन मंडल दोनों में ही नियमों की अनदेखी कर ठेकेदारों को बिना रॉयल्टी पर्ची के ही पूरे भुगतान कर दिए गए।
झूठी जानकारी देकर किया घोटाले को छिपाने का प्रयास
इस घोटाले के चलते वन विभाग में उठने वाले सवालों का जवाब देने के लिए विधानसभा में भी गलत जानकारी दी गई। विभाग के अधिकारी और कर्मचारी लगातार इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। बड़े नेताओं और अधिकारियों के संरक्षण में अब तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे भ्रष्टाचारियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है।
स्टेट ऑडिट की भूमिका संदिग्ध
इस पूरे घोटाले में स्टेट ऑडिट की भूमिका भी शक के दायरे में आ गई है। ऑडिट टीम ने गहराई से जांच किए बिना ही बिलों को ‘ओके’ कर दिया, जिससे साफ है कि घोटाले पर पर्दा डालने का प्रयास किया गया। यह घोटाला केवल कटघोरा और मरवाही तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राज्य के अन्य वन मंडलों में भी ऐसे मामलों के उजागर होने की संभावना जताई जा रही है।
सीबीआई जांच की मांग
घोटाले के इस मामले पर भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने इस घोटाले की जांच के लिए सीबीआई और सेंट्रल ऑडिट टीम की मांग की है। उनका आरोप है कि राज्य की स्टेट ऑडिट टीम ने जानबूझकर इस मामले को नजरअंदाज किया, जिससे ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी धन की बंदरबांट होती रही।
कटघोरा में बड़ा घोटाला होने की आशंका
मरवाही वन मंडल में हुए घोटाले के बाद अब कटघोरा में और भी बड़े वित्तीय गड़बड़ियों के संकेत मिल रहे हैं। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान 121 एनीकट निर्माण में खनिज सामग्री की आपूर्ति के दौरान हुई रॉयल्टी पर्ची की गड़बड़ी उजागर हुई है। यह केवल एक शुरुआत हो सकती है, क्योंकि अन्य वन मंडलों में भी इसी प्रकार के घोटाले की संभावनाएं बढ़ रही हैं।
वन विभाग के अधिकारी इस मामले में अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन जल्द ही उच्चस्तरीय जांच शुरू होने की संभावना है।
