दल्लीराजहरा।
छत्तीसगढ़ में चर्चित मतांतरण और मानव तस्करी प्रकरण में फंसीं नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस को एनआईए कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने दोनों को 50 हजार रुपये के मुचलके पर सशर्त जमानत दे दी है। फिलहाल, उन्हें बालोद जिले के दल्लीराजहरा स्थित पुष्पा अस्पताल में ठहराया गया है, जहां वे 8 अगस्त तक रहेंगी और फिर बिलासपुर हाईकोर्ट में हस्ताक्षर हेतु पेश होंगी।
शनिवार देर शाम जेल से रिहा होकर दोनों नन पुष्पा अस्पताल के वाहन से दल्लीराजहरा पहुंचीं। उनके आगमन पर ईसाई समुदाय के लोगों में हर्ष का माहौल देखा गया। रविवार को उन्होंने स्थानीय चर्च में प्रार्थना की और फिर पूरे दिन अस्पताल आवास परिसर में शांतिपूर्वक रहीं।
सूत्रों के अनुसार, नन प्रीति और वंदना फिलहाल मीडिया या सार्वजनिक मंच से दूरी बनाए हुए हैं, लेकिन वे मानसिक रूप से संयमित और आत्मविश्वास से भरी हुई हैं। स्थानीय पुलिस की निगरानी उनके आसपास बनी हुई है, हालांकि स्थिति सामान्य है।
साथी आरोपी पास्टर सुखमन मंडावी को भी राहत
इसी मामले में गिरफ्तार पास्टर सुखमन मंडावी को भी सशर्त जमानत दी गई है। तीनों पर आरोप है कि उन्होंने नारायणपुर की तीन आदिवासी युवतियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास किया और मानव तस्करी में शामिल रहे।
केस में आया नया मोड़
मामला उस समय नया मोड़ लेता दिखाई दिया, जब एक पीड़िता ने यह दावा किया कि उसे ननों के खिलाफ जबरदस्ती बयान देने को मजबूर किया गया था। इस दावे ने पूरे मामले की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं और जांच की दिशा को प्रभावित कर सकता है।
समाज की प्रतिक्रिया
ईसाई समाज और विभिन्न धार्मिक संगठनों ने कोर्ट के इस फैसले को “न्याय की दिशा में पहला सकारात्मक कदम” बताते हुए स्वागत किया है। समाज में इस फैसले को लेकर संतोष और न्याय व्यवस्था पर भरोसे की भावना देखी जा रही है।
अब निगाहें 8 अगस्त को होने वाली अगली न्यायिक कार्यवाही पर टिकी हैं, जहां हाईकोर्ट में दोनों ननों की उपस्थिति दर्ज होगी। इस संवेदनशील प्रकरण में जांच और कानूनी प्रक्रिया किस दिशा में बढ़ती है, यह देखना अहम होगा।

Author: Deepak Mittal
