सोमवार को केंद्रीय आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने भारतीय रेलवे की तीन प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में भारतीय रेलवे की जिन 3 प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी गयी है, उनकी कुल लागत करीब ₹8000 करोड़ होने वाला है।
इस बारे में पीएम मोदी ने अपने X हैंडल पर एक पोस्ट कर भी जानकारी दी है।
अपने पोस्ट में पीएम मोदी ने लिखा है, ‘बेहतर बुनियादी ढांचा, सपनों को जोड़ने और प्रगति में तेजी लाने के बारे में है।’ इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रिमंडल ने 3 प्रमुख रेलवे परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिसका फायदा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को होने वाला है। इससे मुंबई और प्रयागराज के बीच व्यस्त सेक्शन पर भी विकास कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।
कौन सी 3 रेलवे परियोजनाओं को मिली मंजूरी
सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जिन 3 परियोजनाओं को मंजूरी दी है, उनमें शामिल हैं –
- जलगांव-मनमाड चौथी लाइन (160 किमी)
- भुसावल-खंडवा तीसरी और चौथी लाइन (131 किमी)
- प्रयागराज (इरादतगंज)-मानिकपुर तीसरी लाइन (84 किमी)
मिली जानकारी के अनुसार इन तीनों परियोजनाओं की कुल लागत ₹7,927 करोड़ होने वाली है। इन मल्टी-ट्रैक परियोजनाओं से परिचालन तो आसान होगा, साथ ही भीड़भाड़ भी कम होगी। दावा किया जाता है कि ये परियोजनाएं क्षेत्र के लोगों को व्यापक विकास के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाएगी, इससे उन्हें रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे। बता दें, ये सभी परियोजनाएं पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का हिस्सा हैं।
बढ़ेगा रेलवे का मौजूदा नेटवर्क
भारतीय रेलवे की 3 नयी परियोजनाएं जिन्हें मंजूरी दी गयी है, उनमें 3 राज्यों (महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश) के 7 जिले शामिल हैं। इन तीनों परियोजनाओं की वजह से भारतीय रेलवे का वर्तमान नेटवर्क लगभग 639 किमी तक बढ़ जाएगा। बताया जाता है कि प्रस्तावित मल्टी ट्रैक परियोजनाओं की वजह से खंडवा और चित्रकूट के बीच परिवहन-संपर्क बढ़ जाएगा और इसका लाभ लगभग 1319 गावों में रहने वाली 38 लाख आम जनता को मिलेगा।
इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद कई रूट्स पर अतिरिक्त यात्री ट्रेनों का संचालन किया जाएगा। इससे तीर्थयात्रियों का नासिक (त्र्यंबकेश्वर), खंडवा (ओंकारेश्वर), वाराणसी (काशी विश्वनाथ), प्रयागराज, चित्रकूट, गया और शिरडी जैसे धार्मिक स्थलों तक आना-जाना आसान बन जाएगा। वहीं पर्यटक UNESCO विश्व धरोहर स्थल अजंता और एलोरा की गुफाएं, देवगिरी किला, असीरगढ़ किला, रीवा किला, यावल वन्य जीव अभयारण्य, केओटी झरना, पुरवा झरना आदि तक भी आसानी से पहुंच सकेंगे।
कम होगा कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन
दावा किया जा रहा है कि जिन तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी गयी है, वह कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, इस्पात, सीमेंट, कंटेनर आदि वस्तुओं के परिवहन का एक बेहद महत्वपूर्ण मार्ग है। इन परियोजनाओं के पूरा होने से क्षमता बढ़ेगी, जिससे हर साल लगभग 51 मिलियन टन अतिरिक्त माल की ढुलाई हो सकेगी।
इसका असर पर्यावरण पर भी पड़ेगा। रेलवे को परिवहन का पर्यावरण-अनुकूल साधन माना जाता है। ढुलाई की क्षमता बढ़ने से देश की लॉजिस्टिक्स लागत कम होगी और कार्बन डाई-ऑक्साइड का उत्सर्जन (करीब 271 किग्रा) भी कम होगा। इससे पर्यावरण को करीब 11 करोड़ पेड़ लगाने जितना फायदा होगा।
