जे.के. मिश्र, जिला ब्यूरो चीफ
NBT24x7.in, बिलासपुर
बिलासपुर।
शनिवार शाम आई तेज आंधी और मूसलधार बारिश ने बिलासपुर की बिजली व्यवस्था की पोल खोल दी। 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवाओं ने शहरभर में पेड़ और बिजली के खंभे गिरा दिए, जिससे अधिकांश क्षेत्र अंधेरे में डूब गए। रातभर बिजली गुल रही, और विभागीय लापरवाही ने नागरिकों को बेहाल कर दिया।
शहर के प्रमुख इलाकों—सागर होम्स फेस-2, नेहरू नगर, सरकंडा, और तिफरा—में ट्रांसफॉर्मर और बिजली लाइनें क्षतिग्रस्त हो गईं। लेकिन विद्युत विभाग न तो समय पर बिजली बहाल कर पाया और न ही किसी प्रकार की सूचना जारी की गई।
बिना बिजली के मोबाइल फोन बंद हो गए, इनवर्टर जवाब दे गए, और गर्मी व मच्छरों से रात भर लोगों की नींद हराम रही। बीमार, बुज़ुर्ग और छोटे बच्चों के लिए स्थिति और भी कठिन हो गई।
रविवार को जब नागरिक जवाब मांगने विभागीय कार्यालय पहुंचे, तो वहां भी सन्नाटा पसरा था। शिकायत नंबर बंद, अधिकारी नदारद, और कर्मचारियों का रवैया उपेक्षित—यह सब लोगों में भारी असंतोष और गुस्सा पैदा कर गया।
सागर होम्स फेस-2 के रहवासियों ने बताया कि ट्रांसफॉर्मर खराब हो चुका है, लेकिन तीन दिनों से कोई सुधार कार्य शुरू नहीं हुआ। शिकायत करने की कोई व्यवस्था नहीं बची क्योंकि शिकायत फोन लाइन बंद कर दी गई है।
बड़ी चिंता की बात यह है कि ऐसी घटनाएं अब हर साल आम हो चुकी हैं।
प्रश्न उठता है कि:
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क्या बिजली विभाग के पास आपदा प्रबंधन की कोई तैयारी नहीं है?
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हर साल मामूली आंधी-बारिश में बिजली व्यवस्था क्यों चरमरा जाती है?
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कब तक जनता बिना जवाबदेही के इस लापरवाही को झेलती रहेगी?
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि बिजली विभाग में जवाबदेही तय की जाए, आपदा स्थितियों में त्वरित रिस्पॉन्स टीम सक्रिय की जाए, और शिकायत प्रणाली को पारदर्शी बनाया जाए।
