Monsoon Forecast in September: मॉनसून ने पिछले दो महीनों में देश के अधिकांश हिस्सों को धो डाला है. अगस्त में रिकॉर्ड बारिश हुई है, खासकर 15 अगस्त से 31 अगस्त तक रिकॉर्ड स्तर पर मॉनसून की बारिश हुई है.
खासकर उत्तर भारत में जल प्रलय सी आई है. इसके कारण हिमालयी राज्यों उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन और बादल फटने की कई बड़ी घटनाएं हुई हैं. लेकिन मॉनसून क्या सितंबर में भी ऐसे ही कहर बरपाता रहेगा.भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि मॉनसून की अभी वापसी के संकेत नहीं है. यह मॉनसूनी वर्षा का अच्छा साल है और सितंबर में भी इसी तरह जबरदस्त बरसात के संकेत हैं.
सामान्यतया सितंबर के मध्य में मॉनसून की वापसी शुरू होने लगती है और अक्टूबर की शुरुआत तक इसका प्रभाव खत्म हो जाता है, लेकिन इस बार ऐसा अभी नहीं कहा जा सकता. लिहाजा 15 सितंबर के बाद ही मौसम विभाग डेटा का आकलन कर ये बता सकेगा कि मॉनसून की सक्रियता कब खत्म होगी.
डीजीएम सचिव ने राजस्थान का उदाहरण देते हुए कहा कि सामान्यतया 1 सितंबर को राज्य के हिस्से से मॉनसून की वापसी होने लगती है, लेकिन इस बार इसकी संभावित तारीख 17 सितंबर है. ऐसे में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब-हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में सितंबर के महीने में भी अच्छी खासी बारिश देखने को मिल सकती है. उन्होंने कहा कि 1980 के बाद से कुछ वर्षों को छोड़ दें तो एक नया ट्रेंड देखा जा रहा है, जब अगस्त के दूसरे पखवाड़े और सितंबर में ज्यादा बारिश हो रही है.
मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय मोहपात्रा ने कहा कि सितंबर में भी वर्षा का अनुमान का सामान्य से 109 फीसदी तक हो सकता है. ऐसे में सितंबर में भी देश के अधिकांश हिस्सों में मॉनसून सक्रिय रहेगा.
भारी बारिश का 25 साल का रिकॉर्ड टूटा
भारतीय मौसम विभाग (INDIA MET DEPT) का कहना है कि अगस्त 2025 में उत्तर पश्चिम राज्यों में भारी बारिश (Heavy Rainfall in August 2025) ने 25 साल का रिकॉर्ड तोड़ा है. इस इलाके में अगस्त में 265 मिमी वर्षा हुई है. ये 1901 के बाद यानी 125 सालों में भयंकर बरसात की 13वीं सबसे बड़ी घटना है.उत्तर पश्चिम इलाकों में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, के साथ दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़ और लद्दाख आते हैं. इसमें तीन हिमालयी राज्य उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर ने सबसे ज्यादा प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूस्खलन, बादल फटने जैसी घटनाएं झेली हैं.
पहले हफ्ते घनघोर बारिश की चेतावनी
दिल्ली-एनसीआर से लेकर पहाड़ी राज्यों समेत पूरे देश में इस दौरान सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान है. उत्तर भारत में पहले हफ्ते मूसलाधार बारिशअगले 3-4 दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत (दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब-हरियाणा समेत) में भारी से बहुत भारी वर्षा जारी रहने की संभावना है. 31 अगस्त से 3 सितंबर के दौरान हिमाचल प्रदेश में और 31 अगस्त और 1 सितंबर को उत्तराखंड में कुछ स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा हो सकती है. 31 अगस्त से 2 सितंबर के बीच जम्मू में कुछ जगहों पर भारी से बहुत भारी और 2 सितंबरको कुछ जगहों पर अत्यधिक भारी वर्षा हो सकती है.
अगले सात दिनों में कोंकण और गोवा, मध्य महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक के तटीय इलाकों में भारी से बहुत भारी वर्षा जारी रहने की संभावना है. 4-6 सितंबर के दौरान गुजरात में कुछ स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना है.हालांकि पूर्वोत्तर भारत, ओडिशा-बंगाल जैसे पूर्वी राज्यों और दक्षिण प्रायद्वीप के कुछ इलाकों में थोड़ी कम वर्षा हो सकती है.
थराली-धराली से किश्तवाड़ तक बादल फटा
उत्तराखंड के थराली-धराली, हिमाचल प्रदेश में कुल्लू-किन्नौर और जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ से जम्मू तक बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं पर भी मोहपात्रा ने जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सामान्यतया 10 सेंटीमीटर प्रति घंटे से अधिक वर्षा को क्लाउड बर्स्ट कहा जाता है. लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में मिनी क्लाउडबर्स्ट की घटनाएं ज्यादा देखी गई हैं. 5 सेमी प्रति घंटे तक की वर्षा को मिनी क्लाउडबर्स्ट माना गया है. जम्मू के कटड़ा अर्धकुंवारी में हुए हादसे का जिक्र करते हुए डॉ. मोहपात्रा ने कहा कि ऊधमपुर में 65 सेंटीमीटर वर्षा 24 घंटे में रिकॉर्ड की गई थी. यह एक बड़ी वजह है. उन्होंने भारी और अत्यधिक भारी वर्षा की वजह बताते हुए कहा कि पश्चिमी विक्षोभ की घटनाएं इस मॉनसून सीजन के दौरान देखने को मिली हैं.

Author: Deepak Mittal
