अब गिरफ्तारी तय! यौन उत्पीड़न केस में फंसे पुलिस अफसर को हाईकोर्ट से झटका—अग्रिम जमानत खारिज
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा—आरोप गंभीर, गवाहों को प्रभावित कर सकता है आरोपी, राहत का कोई आधार नहीं
बिलासपुर: पुलिस अधिकारी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज
यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों में फंसे एक पुलिस अधिकारी को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि आरोपी एक पुलिस अफसर है और यदि उसे अग्रिम जमानत दी जाती है, तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है। ऐसे मामलों में राहत देने का कोई आधार नहीं बनता।
👩 पीड़िता की शिकायत: बेटे की जमानत का झांसा
यह मामला दुर्ग जिले के पुराना भिलाई थाना क्षेत्र का है। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस अधिकारी अरविंद कुमार मेढ़े के खिलाफ यौन उत्पीड़न का अपराध दर्ज किया गया है।
एफआईआर के अनुसार, पीड़िता का बेटा पॉक्सो एक्ट के एक मामले में जेल में बंद है। इसी का फायदा उठाकर आरोपी ने बेटे की जमानत कराने का झांसा दिया और महिला से संपर्क बढ़ाया।
📍 थाने से जंगल तक—गंभीर आरोप
पीड़िता ने बताया कि 18 नवंबर 2025 की शाम उसे थाने बुलाया गया, जहां महिला पुलिसकर्मियों ने कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए। इसके बाद आरोपी ने फोन कर उसे चरौदा बस स्टैंड बुलाया और अपनी गाड़ी में बैठाकर सूनसान जंगल वाले इलाके में ले गया।
महिला का आरोप है कि वहां आरोपी ने शारीरिक संबंध बनाने का दबाव, गले लगाना और अश्लील हरकतें कीं। मासिक धर्म की जानकारी देने पर आरोपी ने उसे छोड़ दिया और दो दिन बाद फिर मिलने की बात कही।
🕒 एफआईआर और कोर्ट की टिप्पणी
घटना के लगभग 24 घंटे बाद, 19 नवंबर 2025 की शाम करीब छह बजे पीड़िता ने थाने में एफआईआर दर्ज कराई।
आरोपी ने अपने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर कर आरोपों को निराधार बताया और एफआईआर में देरी व आपराधिक रिकॉर्ड न होने का तर्क दिया।
हालांकि, हाईकोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि आरोपों की प्रकृति बेहद गंभीर है और आरोपी को राहत नहीं दी जा सकती।
⚠️ अब आगे क्या?
अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद आरोपी पुलिस अधिकारी की गिरफ्तारी जल्द मानी जा रही है। मामले ने पुलिस महकमे में भी हलचल बढ़ा दी है।
Author: Deepak Mittal










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