
गरियाबंद जिले से नक्सल आंदोलन के अंत की दिशा में बड़ा संकेत मिला है। जिले की उदंती एरिया कमेटी ने दिवाली के शुभ मुहूर्त पर सशस्त्र संघर्ष को हमेशा के लिए विराम देने का ऐलान किया है।
20 अक्टूबर को कमेटी के सदस्य अपने सभी साथियों सहित हथियारों के साथ आत्मसमर्पण करने की तैयारी में हैं। नक्सल संगठन से जुड़े ये सदस्य अब हिंसा का रास्ता छोड़कर परिवार के साथ नई जिंदगी की शुरुआत करना चाहते हैं।

जानकारी के अनुसार, सोनू दादा और रूपेश दादा के आत्मसमर्पण के बाद से ही इस क्षेत्र में नक्सल आंदोलन कमजोर पड़ गया था। सुरक्षा बलों के लगातार दबाव और माओवादियों की रणनीतिक चूकों के कारण सशस्त्र क्रांति अब लगभग समाप्ति की कगार पर है।
उदंती कमेटी ने अपने संदेश में गोबरा, सीनापाली और सीतानदी यूनिटों से भी भावुक अपील की है कि वे देर न करें और मुख्यधारा में लौटकर शांति और विकास की राह अपनाएं।

Author: Deepak Mittal
