नारायणपुर डीएवी एमएमपीएस स्कूल में शिक्षा का मज़ाक – शासन-प्रशासन की चुप्पी से बढ़ा संकट

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नारायणपुर डीएवी एमएमपीएस स्कूल में शिक्षा का मज़ाक – शासन-प्रशासन की चुप्पी से बढ़ा संकट

कॉमर्स के बिना तीन महीने, 12वीं के छात्रों का भविष्य बर्बाद – स्कूल प्रबंधन और प्रशासन पूरी तरह लापरवाह

नारायणपुर। जिले के नामचीन कहे जाने वाले डीएवी एमएमपीएस पब्लिक स्कूल में शिक्षा का स्तर इन दिनों चरमरा चुका है। कक्षा 12वीं के वाणिज्य संकाय के छात्रों को बीते तीन महीनों से एक भी विषय विशेषज्ञ शिक्षक नहीं मिला, और शासन-प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर पूरी तरह मौन है। इस लापरवाही के कारण छात्र-छात्राएं मानसिक तनाव और भविष्य की अनिश्चितता से जूझ रहे हैं।

तीन महीने से क्लास ठप – बस वादे और बहाने
स्कूल प्रबंधन ने शुरू में दावा किया था कि जल्द ही कॉमर्स शिक्षक की नियुक्ति होगी, लेकिन 90 दिन बीतने के बाद भी कोई स्थायी शिक्षक नहीं आया। एक बार जो शिक्षिका भेजी गईं, उन्होंने खुद को “माँ शिक्षक” बताते हुए नियमित रूप से पढ़ाने से इंकार कर दिया। नतीजा – लेखाशास्त्र, व्यावसायिक अध्ययन और अर्थशास्त्र जैसे मुख्य विषय पूरी तरह अधर में लटक गए हैं।

पालकों में गुस्सा, छात्रों में हताशा
परीक्षा का समय नजदीक है, लेकिन छात्रों को पढ़ाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन और टालमटोल मिल रहा है। पालकों का कहना है कि अगर तुरंत समाधान नहीं हुआ, तो वे छात्र-छात्राओं के साथ मिलकर स्कूल और जिला प्रशासन के खिलाफ सड़क पर उतरेंगे।

जिम्मेदारी से भाग रहा प्रशासन
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस मुद्दे पर जिला शिक्षा अधिकारी, सहायक संचालक (ARO) और शिक्षा विभाग के बड़े अफसर पूरी तरह चुप हैं। यह चुप्पी यह साबित करती है कि शासन-प्रशासन छात्रों के भविष्य को लेकर गंभीर नहीं है। अगर यही हाल रहा तो सैकड़ों छात्रों का शैक्षणिक वर्ष बर्बाद हो जाएगा और इसकी सीधी जिम्मेदारी इन अफसरों पर होगी।

छात्रों की मांग – “शिक्षक दो, शिक्षा दो, भविष्य बचाओ”
छात्र और पालक मांग कर रहे हैं कि तुरंत योग्य कॉमर्स शिक्षक नियुक्त किए जाएं और बीते तीन महीनों की पढ़ाई की भरपाई की जाए। यदि प्रशासन ने जल्द पहल नहीं की, तो यह मामला बड़े जन आंदोलन में बदल सकता है।

स्पष्ट संदेश – अब चुप्पी नहीं चलेगी
नारायणपुर के छात्र-पालकों का कहना है कि शासन-प्रशासन को चेतावनी दी जा रही है – समय रहते समाधान करो, वरना आने वाले दिनों में यह लापरवाही बड़े आंदोलन की चिंगारी बन जाएगी, जिसका खामियाजा पूरे तंत्र को भुगतना पड़ेगा।

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Author: Deepak Mittal

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