मुख्यधारा में लौटे माओवादी कैडर: बस्तर में शांति, विश्वास और विकास की नई सुबह
CM विष्णुदेव साय ने कहा—“बंदूक की जगह अब विकास की गूंज”
रायपुर/जगदलपुर। आज बस्तर और पूरे छत्तीसगढ़ के लिए ऐतिहासिक दिन है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” कार्यक्रम में 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण की घोषणा की। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये युवा, जो कभी माओवादी विचारधारा में फंसे थे, अब लोकतंत्र, संविधान और राज्य सरकार की नीतियों पर भरोसा जताते हुए समाज की मुख्यधारा में लौट रहे हैं। आत्मसमर्पित कैडरों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य, एक रीजनल कमेटी सदस्य, 22 डिविजनल, 61 एरिया कमेटी सदस्य और 98 पार्टी सदस्य शामिल हैं। इन पर 9.18 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था।
कार्यक्रम में कुल 153 हथियार समर्पित किए गए, जिनमें AK-47, SLR, INSAS राइफलें, कार्बाइन, शॉटगन और पिस्तौल शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इसे अपने जीवन का सबसे भावनात्मक और संतोषजनक क्षण बताया और कहा कि यह साबित करता है कि बदलाव नीतियों और विश्वास से आता है, भय और हिंसा से नहीं।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की “नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025”, “नियद नेल्ला नार योजना” और “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” जैसी पहलों ने बस्तर में संवाद, संवेदना और विकास को प्राथमिकता दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर, जहाँ कभी भय का शासन था, वहाँ आज विश्वास का शासन है। यह आत्मसमर्पण नक्सल उन्मूलन अभियान की सबसे बड़ी सफलता है। उन्होंने आत्मसमर्पित कैडरों के पुनर्वास, स्वरोजगार, प्रशिक्षण, शिक्षा और आवास की गारंटी दी, ताकि वे समाज के निर्माण में सक्रिय योगदान दे सकें।
साथ ही उन्होंने कहा कि बस्तर का यह परिवर्तन देशभर के लिए प्रेरणा है और यह दिखाता है कि जब नीयत साफ और नीतियाँ जनकेंद्रित हों, तो हिंसा का अंत और शांति की शुरुआत संभव है। मुख्यमंत्री ने कहा—“यह केवल आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि आत्मजागरण की यात्रा है। बस्तर में अब भय नहीं, बल्कि विश्वास और बंधुत्व का शासन होगा।”
इस अवसर पर क्षेत्रीय जनता, जनप्रतिनिधि, मीडिया, सुरक्षा बल और नागरिक समाज के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार बस्तर को नए उद्योग, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और कनेक्टिविटी के माध्यम से आत्मनिर्भर क्षेत्र में बदलने का संकल्पित है।
Author: Deepak Mittal










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