रायपुर। डीएमएफ (District Mineral Foundation) घोटाले में मंगलवार सुबह ACB/EOW (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) की टीम ने प्रदेशभर में एक साथ 12 ठिकानों पर छापेमारी शुरू की। इनमें रायपुर में 5, दुर्ग में 2, राजनांदगांव में 4, और कुरूद में 1 ठिकाना शामिल है। छापेमारी की यह कार्रवाई कांग्रेस शासनकाल में हुए कथित आर्थिक घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है।
कारोबारियों और सप्लायरों के ठिकानों पर कार्रवाई
सूत्रों के मुताबिक, जिन ठिकानों पर ईओडब्ल्यू की टीम पहुंची है, वे शासकीय सप्लायर और ठेकेदार बताए जा रहे हैं। राजनांदगांव जिले में कार्रवाई के दौरान नाहटा, भंसाली और अग्रवाल परिवारों के नाम सामने आए हैं। ईओडब्ल्यू की टीमें सुबह से ही वित्तीय दस्तावेजों और टेंडर से संबंधित कागजातों की जांच में जुटी हैं।
ईडी रिपोर्ट के आधार पर दर्ज हुआ केस
राज्य सरकार की ओर से जारी जानकारी के अनुसार, ED (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने धारा 120-B और 420 के तहत मामला दर्ज किया है।
रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि कोरबा के डीएमएफ फंड से टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गईं। टेंडर प्रक्रियाओं में हेरफेर कर चयनित ठेकेदारों और बिचौलियों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।
सामने आए नामों में कई प्रमुख व्यापारी शामिल
ED की जांच में सामने आए नामों में —
संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी,
साथ ही बिचौलियों मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर — शामिल बताए गए हैं।
ईओडब्ल्यू अब इन सभी व्यक्तियों के खाते, लेन-देन और ठेके संबंधी दस्तावेजों की जांच कर रही है।
छापेमारी से मचा हड़कंप
एक साथ कई जिलों में हुई इस कार्रवाई से प्रशासनिक और कारोबारी हलकों में हड़कंप मच गया है। ईओडब्ल्यू सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में घोटाले के और भी बड़े चेहरों के सामने आने की संभावना है।
Author: Deepak Mittal









