बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले और इससे जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में बड़ा मोड़ सामने आया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई गिरफ्तारी को गैरकानूनी ठहराते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में उन्होंने गिरफ्तारी को रद्द करने के साथ ही ईडी द्वारा की जा रही पूछताछ और कानूनी प्रक्रिया को चुनौती दी है। अब यह मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और जल्द सुनवाई की संभावना जताई जा रही है।
हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे बघेल परिवार
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ईडी की कार्रवाई को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि उन्हें परेशान न किया जाए और न ही गिरफ्तार किया जाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा था। इसके बाद रायपुर स्थित विशेष अदालत में पेशी और न्यायिक रिमांड की प्रक्रिया के बीच अब हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
ईडी की कार्रवाई: जन्मदिन पर हुई गिरफ्तारी
गौरतलब है कि ईडी ने 18 जुलाई 2025 को भिलाई स्थित बघेल निवास पर छापा मारकर चैतन्य बघेल को उनके जन्मदिन के दिन गिरफ्तार किया था। इस कार्रवाई से न सिर्फ राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई, बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चाओं का दौर तेज हो गया। गिरफ्तारी के बाद चैतन्य को 5 दिन की ईडी रिमांड पर भेजा गया और फिर 22 जुलाई को कोर्ट में पेश करने के बाद उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रायपुर जेल भेज दिया गया। अब 4 अगस्त को रिमांड समाप्त होने के बाद फिर से कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें दोबारा 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। अगली सुनवाई 18 अगस्त को होनी है।
ईडी का दावा – 2500 करोड़ का घोटाला
प्रवर्तन निदेशालय ने 21 जुलाई को प्रेस नोट जारी कर इस घोटाले से संबंधित चौंकाने वाली जानकारियां साझा की थीं। ईडी के अनुसार, छत्तीसगढ़ में हुए इस शराब घोटाले से सरकारी खजाने को 2,500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह घोटाला भारतीय दंड संहिता (IPC) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज एफआईआर की जांच से सामने आया। इस एफआईआर को रायपुर स्थित एसीबी/ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया था, जिसके आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच की गई।
चैतन्य को मिले 16.70 करोड़ रुपये नकद
ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि चैतन्य बघेल को इस घोटाले से लगभग 16.70 करोड़ रुपये नकद (POC – Proceeds of Crime) मिले थे। इन पैसों को वैध दिखाने के लिए उन्होंने अपनी रियल एस्टेट कंपनियों का इस्तेमाल किया और इस राशि को प्रोजेक्ट निर्माण में लगा दिया। नकद भुगतान के अलावा, नकदी के बदले बैंक एंट्री और अन्य माध्यमों से धन का उपयोग किया गया।
फ्लैटों की खरीद के नाम पर ली गई रिश्वत
जांच में यह भी सामने आया है कि चैतन्य बघेल ने शराब सिंडिकेट के आरोपी त्रिलोक सिंह ढिल्लों से मिलीभगत की और उसकी फर्म के कर्मचारियों के नाम पर “विठ्ठलपुरम प्रोजेक्ट” में फ्लैटों की खरीद के बहाने 5 करोड़ रुपये प्राप्त किए। बैंकिंग ट्रेल्स से यह भी पता चला है कि घोटाले की अवधि के दौरान त्रिलोक सिंह ढिल्लों के खातों में शराब सिंडिकेट से प्राप्त राशि जमा हुई थी।
1000 करोड़ से अधिक की अवैध संपत्ति संभालने का आरोप
ईडी ने दावा किया है कि चैतन्य बघेल शराब घोटाले से अर्जित 1000 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति को प्रबंधित कर रहे थे। वे इस राशि को कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष को हस्तांतरित करने में अन्य आरोपियों के साथ समन्वय कर रहे थे। यह पैसा पार्टी फंडिंग और अन्य निवेशों में लगाया गया, जिसकी जांच अब भी जारी है। ईडी के मुताबिक यह नेटवर्क कई फ्रंट कंपनियों, नकद लेनदेन और फर्जी दस्तावेजों के जरिये काम कर रहा था।
गिरफ्तार हो चुके हैं कई बड़े नाम
इस मामले में पहले से कई प्रभावशाली लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनमें पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, वरिष्ठ अधिकारी अरविंद सिंह, कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लों, कांग्रेस नेता अनवर ढेबर, आईटीएस अफसर अरुण पति त्रिपाठी और कांग्रेस विधायक एवं पूर्व मंत्री कवासी लखमा शामिल हैं। ईडी का दावा है कि इन सभी लोगों की भूमिका शराब सिंडिकेट चलाने और उससे प्राप्त धन को ठिकाने लगाने में रही है।

Author: Deepak Mittal
