धान छोड़ ‘काला हीरा’ की ओर! गांवों की औरतों ने थामा मखाने का दामन… क्या बदल जाएगी पूरी किस्मत?

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रायपुर, 15 सितम्बर 2025।
धान के कटोरे से निकलकर अब सुपरफूड मखाना (काला हीरा) की खेती गांव-गांव में नई पहचान बना रही है। धमतरी के कुरूद विकासखंड के राखी, दरगहन और सरसोंपुरी गांवों में करीब 20 हेक्टेयर तालाबों में मखाना बोया गया है, जिसमें से राखी गांव की फसल अब कटाई के लिए तैयार है।

सबसे खास बात यह है कि इस पहल में महिला स्व-सहायता समूह खुलकर आगे आए हैं। ग्राम देमार की शैलपुत्री महिला समूह और नई किरण महिला समूह ने मखाना खेती और प्रसंस्करण को आजीविका का साधन बना लिया है।

👉 मखाने को धान का विकल्प माना जा रहा है क्योंकि:

  • धान की खेती से औसतन 32,698 रुपये का लाभ होता है,

  • जबकि मखाना खेती से लगभग 64,000 रुपये की आमदनी मिल रही है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, यह फसल न केवल आर्थिक वरदान है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी चमत्कारी है। इसमें विटामिन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो डायबिटीज और हृदय रोगियों के लिए लाभकारी हैं।

📌 जिला प्रशासन ने किसानों की बढ़ती रुचि को देखते हुए अगली रबी सीजन में 200 एकड़ तालाबों में मखाना खेती का विस्तार करने का लक्ष्य रखा है।

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Author: Deepak Mittal

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