पूर्व एडीजी और 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह के खिलाफ पूर्व सरकार द्वारा दर्ज की गई तीन एफआईआर को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बुधवार को निरस्त कर दिया। डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान प्रस्तुत किए गए रिकॉर्ड और तथ्यों के आधार पर यह निर्णय लिया। कोर्ट ने कहा कि जीपी सिंह के खिलाफ कोई ठोस प्रमाण नहीं पाए गए और इन एफआईआर को द्वेषपूर्ण कार्रवाई मानते हुए रद्द करने का आदेश दिया।
### सिंह के वकीलों ने यह तर्क दिए:
सिंह के अधिवक्ताओं ने कोर्ट में यह तर्क रखा कि इन एफआईआर में कोई साक्ष्य नहीं हैं और यह केवल राजनीतिक द्वेष का परिणाम हैं:
– जिन व्यक्तियों से सोने की चोरी हुई थी, उन्हें एसीबी ने आरोपी नहीं बनाया, लेकिन गोल्ड को जीपी सिंह का बताकर उन्हें आरोपी बनाया गया।
– जिस स्कूटर से सोना मिला, वह सिंह या उनके परिवार के नाम पर रजिस्टर्ड नहीं था।
– सुपेला में दर्ज एक्सटॉर्शन मामले में, छह साल बाद बदले की भावना से कार्रवाई की गई।
– जीपी सिंह के घर से मिले कटे-फटे कागजों के आधार पर उन्हें राजद्रोह का आरोपी बनाया गया, लेकिन इन कागजों से किसी षड्यंत्र का संकेत नहीं मिलता।
– एसीबी द्वारा अदालत में प्रस्तुत किए गए जवाब से भी यह स्पष्ट हुआ कि कागजों की रेडियोग्राफी से कोई ठोस जानकारी नहीं मिली।
वकीलों ने इन मामलों को राजनीतिक द्वेषपूर्ण कार्रवाई करार दिया, जिसके बाद हाईकोर्ट ने जीपी सिंह के खिलाफ दर्ज सभी तीन एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया।
### आगे क्या होगा? बहाली की प्रक्रिया पर असर
आईपीएस जीपी सिंह की सेवा से बर्खास्तगी को लेकर केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने उन्हें बहाल करने का आदेश दिया था। इस आदेश के पालन में राज्य सरकार ने केंद्र को बहाली का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक बहाली का आदेश जारी नहीं किया है। इसके बजाय, दिल्ली हाईकोर्ट में कैट के फैसले के खिलाफ अपील की गई है। जब तक इस अपील का निपटारा नहीं होगा, तब तक जीपी सिंह की बहाली पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता।
### एफआईआर में क्या था?
1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह के खिलाफ तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) में एफआईआर दर्ज करवाई थी। 2021 में एसीबी ने उनके सरकारी आवास और अन्य ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति और कई दस्तावेज़ बरामद हुए थे। इसके बाद उन्हें जुलाई 2021 में निलंबित कर दिया गया था और कुछ समय बाद राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया गया। वे 120 दिन तक जेल में रहे थे।
