राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति द्वारा “रतलाम जिले के इतिहास और पुरातत्व” विषय पर हुआ व्याख्यान
दरबार हाल के जीर्णोद्धार का रखा प्रस्ताव जिले में भूमिज शैली के उत्कृष्ट उदाहरण
रतलाम से इमरान खान की रिपोर्ट
रतलाम राजस्थान और गुजरात की सीमा से लगा रतलाम जिला इतिहास और पुरातत्व की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण और समृद्ध परंपरा वाला क्षेत्र रहा है। हम सभी को इसे सहेजने और संवारने के लिए प्रयास करना चाहिए।
यह विचार कलेक्टर राजेश बाथम ने राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति द्वारा ‘रतलाम जिले के इतिहास और पुरातत्व’ विषय पर आयोजित व्याख्यान और परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। यह जानकारी देते हुए संस्था के जिला संयोजक नरेन्द्रसिंह डोडिया ने बताया कि संस्था द्वारा स्थानीय गुलाब चक्कर पर आयोजित व्याख्यान एवं परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. रमेश यादव (वरिष्ठ पुरातत्व अधिकारी- पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय मध्यप्रदेश शासन भोपाल) एवं डॉ. ध्रुवेन्द्रसिंह जोधा (शोध अधिकारी डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर शोध संस्था भोपाल) थे। विशेष अतिथि के रूप में संस्था के राष्ट्रीय संयोजक ठा. सत्येन्द्रसिंह कदवाली और राष्ट्रीय महामंत्री कुंवर कुलदीपसिंह पिपलोदा द्वारकाधीश थे। आयोजन की अध्यक्षता वरिष्ठ पुरातत्ववेत्ता कैलाशचन्द्र पाण्डेय (मंदसौर) ने की।

दरबार हाल के जीर्णोद्धार का रखा प्रस्ताव
परिचर्चा का विषय प्रवर्तन करते हुए संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह पॅंवार ने रतलाम जिले के इतिहास और पुरातत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि रतलाम जिले में प्रागैतिहासिक काल से लेकर मौर्य, शुंग,परमारकाल तक के पुरातात्विक अवशेष और ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी प्राप्त होती है। श्री पॅंवार ने जिलाधीश के समक्ष रतलाम जिले के इतिहास और पुरातत्व पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करने एवं ऐतिहासिक इमारतों को संरक्षित करने का प्रस्ताव रखा । जिलाधीश श्री बाथम ने संगोष्ठी आयोजित करने हेतु सहमति व्यक्त की । श्री बाथम ने इतिहास और पुरातत्व के क्षेत्र में निरंतर अपनी सेवाएं देने के लिए राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह पॅंवार एवं सदस्यों के कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए आगे भी इस क्षेत्र में कार्य करने का आह्वान किया।
श्री पॅंवार ने गुलाब चक्कर के समान रणजीत विलास पैलेस के दरबार हाल के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव भी जिलाधीश श्री बाथम के समक्ष रखा। दरबार हाल के जीर्णोद्धार होने से साहित्यिक, सांस्कृतिक आयोजन के साथ ऐतिहासिक गेलरी के लिए उपयोगी हो सकती है।

जिले में भूमिज शैली के उत्कृष्ट उदाहरण
परिचर्चा में डॉ. यादव ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि पूर्वकाल में रतलाम का परिक्षेत्र अवन्ती जनपद के अंतर्गत आता था, जिसके दूसरी तरफ दशपुर जनपद की सीमा थी। स्थापत्य की दृष्टि से रतलाम क्षेत्र का परमारकाल में बहुत विकास हुआ। परमार शासकों द्वारा विकसित की गई भूमिज शैली के मंदिर विश्व में प्रसिद्ध रहे हैं। रतलाम जिले में बिलपांक का विरुपाक्ष महादेव, धराड़ का शिव मंदिर, आलोट का महादेव मंदिर भूमिज शैली के उत्कृष्ट उदाहरण है।
उच्चानगढ़ परमार शासकों के शासनकाल में महत्वपूर्ण नगर और उनकी रही राजधानी
परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए डॉ. ध्रुवेन्द्रसिंह जोधा ने कहा कि रतलाम जिले में पुरातात्विक सम्पदा के संरक्षण की आवश्यकता है। पुरातत्व विभाग द्वारा समय-समय पर इस दिशा में काम भी किया जाता है। रतलाम जिले में स्थित गढ़खंखाई माताजी के समीप उच्चानगढ़ परमार कालीन अवशेषों से भरा हुआ है। माही नदी के तट पर स्थित उच्चानगढ़ परमार शासकों के शासनकाल में महत्वपूर्ण नगर और उनकी राजधानी रही है। श्री जोधा ने बताया कि उचानगढ़ परिक्षेत्र में स्थित राजापुरा के एक मंदिर का उत्खनन हुआ है, अभी भी वहां काफी काम बाकी है। विगत दिनों राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह पॅंवार के नेतृत्व में उच्चानगढ़ क्षेत्र , बिलपांक, धराड़ और गुणावद गांव का व्यापक परिभ्रमण कर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर विभाग को प्रस्तुत की गई।
पुरुषों के साथ महिलाओं का भी योगदान भी कम नहीं
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. कैलाश चन्द्र पाण्डेय ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम रतलाम जिले का अभूतपूर्व योगदान रहा है। स्वतंत्रता संग्राम में यहां के न केवल पुरुषों ने अपना योगदान दिया बल्कि महिलाएं भी पीछे नहीं रही है। रतलाम की दुर्गा देवी निगम एवं रतलाम जिले के धानासुता गांव के उदयराज पांचाल और उनकी पत्नी काशीबाई का नाम उल्लेखनीय हैं। डॉ. पाण्डेय ने रतलाम जिले के इतिहास पर प्रकाश डालने वाली अपनी तीन पुस्तकों- मध्यप्रदेश में स्वाधीनता संग्राम में रतलाम, युग युगीन सैलाना और स्वातंत्र्य समय में रतलाम जिले का योगदान से भी परिचित करवाया।
उल्लेखनीय योगदान के लिए किया अभिनंदन
कलेक्टर बाथम का अभिनन्दन करते हुए राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति के पदाधिकारी
इतिहास एवं पुरातत्व में उल्लेखनीय योगदान के लिए श्री यादव का अभिनन्दन करते हुए पंवार एवं अन्य
डॉ. पाण्डेय ने अभी तक 10 ताम्र पत्रों तथा 90 से अधिक पाषाण अभिलेखों का वाचन किया है। श्री पाण्डेय ने बताया कि रतलाम के राजकवि रहे गोविंद द्वारा लिखित पुस्तक ‘गौरांग विजय’ पर टिका लेखन का कार्य भी किया है जोकि उल्लेखनीय कार्य है । सन् 1860 में लिखी गई गौरांग विजय पुस्तक प्रथम स्वतंत्रता संग्राम पर अंग्रेजों द्वारा लिखवाई गई पहली पुस्तक है।
समारोह में गुलाब चक्कर के जीर्णोद्धार के लिए कलेक्टर बाथम एवं इतिहास एवं पुरातत्व में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. रमेश यादव एवं डॉ. ध्रुवेन्द्रसिंह जोधा का सम्मान किया गया।
मधुर गीतों की प्रस्तुति ने मनमोहा
इस अवसर पर अनुनाद संस्था के अध्यक्ष अजीत जैन के मार्गदर्शन में अवनि उपाध्याय ने सरस्वती वंदना, रिदम मिश्रा ने सत्य,शिवम सुंदरम और मुंशी व्यास ने अपनी मधुर आवाज में ये मेरे वतन के लोगों, गीत प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया।
व्याख्यान एवं परिचर्चा आयोजित करने में जिला पुरातत्व के अरुण पाठक, अश्विन शुक्ला, मंजीतसिंह देवड़ा (एस डी ओ ) का उल्लेखनीय योगदान रहा।
स्मृति चिह्न भेंटकर किया सम्मान
आयोजन में रतलाम के इतिहास से संबंधित सामग्री संकलन करने वाले दीपक रायकवार और इतिहास की शोधार्थी पूजा खरे और कवि ब्रजराजसिंह ब्रज का स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया।
यह थे मौजूद
आयोजन में डॉ मुरलीदर चांदनी वाला, ओ पी मिश्र, दिनेश शर्मा, श्रीमती श्रद्धा घाटे, डॉ प्रवीणा दवेसर , तुषार कोठारी सहित रतलाम जिले के गणमान्य नागरिकों, प्रबुद्धजनों, इतिहास एवं पुरातत्व में रुचि रखने वाले शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति एवं सहभागिता रही। संचालन रतलाम की ऐतिहासिक जानकारी से युक्त आशीष दशोत्तर ने किया। आभार ठाकुर धीरेन्द्रसिंह सरवन ने व्यक्त किया।

Author: Deepak Mittal
