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‘बटेंगे तो कटेंगे Vs डरोगे तो मरोगे’, बीजेपी या कांग्रेस, महाराष्ट्र-झारखंड चुनाव में किसका बुलंद होगा नारा, किसे करना होगा किनारा?

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Deepak Mittal

Maharashtra, Jharkhand Assembly Election: महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों के बीच स्लोगन वार ने चुनावी माहौल को और भी गरम कर दिया है. बीजेपी और विपक्षी दलों ने अपने-अपने स्लोगन के माध्यम से जनता तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की है. आइए, जानते हैं कि इन नारेबाजी में कौन किस पर भारी पड़ रहा है.

‘बटेंगे तो कटेंगे’: योगी का चुनावी हथियार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्लोगन ‘बटेंगे तो कटेंगे’ महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. इस नारे को उन्होंने हिंदुओं के बीच एकजुटता की अपील के रूप में पेश किया. योगी ने इसे कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) पर तीखा हमला करने के लिए इस्तेमाल किया.

हालांकि, विपक्षी दलों ने इस नारे को सांप्रदायिक करार दिया और इसे समाज में विभाजन पैदा करने का प्रयास बताया. महाराष्ट्र में इस नारे को लेकर महायुति गठबंधन में भी मतभेद देखने को मिले. एनसीपी के नेता अजीत पवार और बीजेपी नेता पंकजा मुंडे ने इस नारे पर अपनी असहमति जताई.

‘एक है तो सेफ है’: पीएम मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के जवाब में ‘एक है तो सेफ है’ नारे को प्रचारित किया. यह नारा समाज में एकजुटता और सकारात्मकता का संदेश देने के लिए था. पीएम मोदी ने इसे कांग्रेस पर जातिगत राजनीति करने और ओबीसी समुदाय को बांटने के आरोप के जवाब में इस्तेमाल किया.

महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावी रैलियों के दौरान पीएम मोदी ने इस नारे के माध्यम से एकजुटता को बढ़ावा देने की बात की. विपक्ष ने इस नारे को लेकर भाजपा पर पलटवार किया, लेकिन पीएम मोदी ने इसे अपनी प्रमुख रणनीति बनाए रखा.

‘डरोगे तो मरोगे’: कांग्रेस का पलटवार

कांग्रेस ने बीजेपी के स्लोगन को चुनौती देते हुए ‘डरोगे तो मरोगे’ नारा दिया. यह नारा राहुल गांधी के ‘डरो मत’ संदेश से प्रेरित था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने झारखंड में इस नारे के जरिए बीजेपी पर डर का माहौल बनाने और समाज को बांटने का आरोप लगाया.

खड़गे ने योगी आदित्यनाथ के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर हमला करते हुए कहा कि साधुओं का काम समाज को जोड़ना है, न कि विभाजन पैदा करना. हालांकि, कांग्रेस का यह नारा देर से आया और जनता के बीच अपनी पकड़ बनाने में कमजोर साबित हुआ.

‘रोटी, बेटी और माटी’: झारखंड में बीजेपी की रणनीति

झारखंड में बीजेपी ने ‘रोटी, बेटी और माटी’ नारे के साथ चुनावी मैदान में उतरकर हेमंत सोरेन सरकार पर तीखा हमला बोला. इस नारे के जरिए बीजेपी ने रोजगार, महिलाओं की सुरक्षा और जमीन की रक्षा जैसे मुद्दों को उठाया.

बीजेपी ने आरोप लगाया कि सोरेन सरकार वोट बैंक की राजनीति के लिए घुसपैठियों को समर्थन दे रही है, जिससे आदिवासी समाज को नुकसान हो रहा है. इस नारे ने झारखंड के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में गहरी पकड़ बनाई.

स्लोगन वार में कौन होगा विजेता?

महाराष्ट्र और झारखंड में चल रहे स्लोगन वार ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया है. बीजेपी और विपक्षी दल अपने-अपने नारे के जरिए मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. जहां ‘बटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक है तो सेफ है’ बीजेपी के मुख्य हथियार बने, वहीं विपक्ष ने ‘डरोगे तो मरोगे’ और अन्य नारों से पलटवार किया.

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Author: Deepak Mittal

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