बिलासपुर हाई कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: संविदा महिला कर्मियों को भी मिलेगा मातृत्व अवकाश वेतन

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

जे के मिश्र
ब्यूरो चीफ
नवभारत टाइम्स 24*7in बिलासपुर

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने संविदा महिला कर्मचारियों के हित में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संविदा पर कार्यरत महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश के दौरान वेतन से वंचित नहीं किया जा सकता। यह निर्णय न केवल महिला कर्मियों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करता है, बल्कि मातृत्व की गरिमा और नवजात के संपूर्ण विकास की संवैधानिक भावना को भी मजबूती देता है।

मामला जिला अस्पताल कबीरधाम में स्टाफ नर्स के रूप में कार्यरत राखी वर्मा से जुड़ा है। उन्होंने 16 जनवरी 2024 से 16 जुलाई 2024 तक मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया था। 21 जनवरी को उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया, लेकिन इसके बावजूद उन्हें वेतन नहीं मिला। आर्थिक कठिनाइयों से जूझती वर्मा ने 25 फरवरी 2025 को सीएमएचओ को वेतन भुगतान की मांग करते हुए आवेदन दिया।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मातृत्व और शिशु के अधिकारों का संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षण है। यह अधिकार किसी की इच्छा पर आधारित नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि राज्य के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी याचिकाओं पर तीन माह के भीतर नियम अनुसार निर्णय लिया जाए।

कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि मातृत्व अवकाश का उद्देश्य मातृत्व की गरिमा की रक्षा करना है, ताकि नवजात का स्वस्थ विकास सुनिश्चित हो सके। हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा अवकाश नियम, 2010 के नियम 38 और अन्य दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए राज्य सरकार को आदेश दिए कि वह इस संबंध में उचित निर्णय जल्द पारित करे।

यह फैसला भविष्य में प्रदेश भर की हजारों संविदा महिला कर्मचारियों के लिए एक मिसाल बनेगा और उनके अधिकारों को नई ताकत देगा।

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *