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कांग्रेस के पूर्व विधायक के भतीजे ने फर्जी दस्तावेज़ों से की धोखाधड़ी!

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Deepak Mittal

फर्जी नामांतरण करवा कर भाजपा नेता को बेची जमीन, राजस्व अमला भी सवालों के घेरे में

रतलाम से इमरान खान की रिपोर्ट

रतलाम कांग्रेस कमेटी के पूर्व विधायक के भतीजे ने जमीन के कागजों में जादुगरी दिखाकर फर्जी नामांतरण करवा कर भाजपा नेता को जमीन बेच दी। जिसका पर्दाफाश गत दिवस हुआ है। वही इस मामले में पुलिस ने गुपचुप एफआईआर दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया और वीआईपी ट्रीटमेंट देकर उसे राहत प्रदान की। यह घोटाला कांग्रेस के पूर्व विधायक शिवकुमार झालानी के भतीजे और उद्योगपति जयेश झालानी ने किया है। जयेश पर आरोप है कि उसने फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से माहेश्वरी प्रोटीन्स की 0.340 हेक्टेयर ज़मीन (सर्वे नंबर 269/1) का फर्जी नामांतरण करवाकर उसे भारतीय जनता युवा मोर्चा के पदाधिकारी गौरव मूणत को बेच दिया।

जानकारी के अनुसार जयेश झालानी ने 10 अप्रैल 2024 को ऑनलाइन लोक सेवा पोर्टल के माध्यम से नामांतरण हेतु आवेदन किया। आवेदन के साथ फर्जी आधार कार्ड, खसरा नक्शा और पुरानी सेलडीड की छायाप्रति संलग्न की गई थी। जयेश ने यह दावा किया कि वह मेसर्स अर्बन डेवलपर्स के प्रतिनिधि हैं और उन्हें कंपनी के सभी कार्यों के लिए अधिकृत किया गया है। राजस्व विभाग के पटवारी प्रतिवेदन और दस्तावेज़ों के आधार पर नामांतरण का आदेश 23 जुलाई 2024 को पारित किया गया। इसके बाद भूमि को अमित सेठी और फिर गौरव मूणत के नाम कर दिया गया।

10 जून 2025 को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के ऑफिसियल लिक्विडेटर व्योमेश सेठ ने तहसीलदार को पत्र भेजकर स्पष्ट किया कि भूमि का नामांतरण गलत तरीके से किया गया है। दस्तावेज़ों की समीक्षा में यह भी सामने आया कि जयेश झालानी द्वारा प्रस्तुत विक्रय पत्र (सेलडीड क्रमांक 1317 दिनांक 14/08/2008) फर्जी थी। इस घोटाले में राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठते हैं।

-जमीन की जादुगरी में राजस्व अधिकारियों की संलिप्तता

  • पटवारी प्रतिवेदन और दस्तावेजों की जांच के बाद भी फर्जी सेलडीड कैसे स्वीकृत की गई?
  • क्या दस्तावेज़ों की सत्यता की पुष्टि किए बिना नामांतरण आदेश पारित किया गया?
  • क्या अधिकारियों ने जानबूझकर मिलीभगत की, या फिर यह सिर्फ लापरवाही थी?
  • इस पूरी प्रक्रिया में तहसील कार्यालय और उप-पंजीयक कार्यालय की भूमिका जांच के दायरे में आ गई है।

पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी पर सवाल
सूत्रों के अनुसार फर्जी दस्तावेज पर फर्जी नामांतरण के इस मामले में रतलाम कलेक्ट्रेट का राजस्व विभाग की भूमिका संदेह के घेरे में है। सूत्रों के अनुसार हाईकोर्ट के अलावा एजेंसी की जांच की आंच जिम्मेदारों तक पहुंचने से पहले सांठगांठ करने वाले अफसरों ने मामले से पल्ला झाड़ा है। आनना – फानन में कलेक्टर कार्यालय से एक आवेदन रतलाम पुलिस के पास पहुंचता है और तहसीलदार के पत्र पर कार्रवाई करते हुए स्टेशन रोड पुलिस ने जयेश झालानी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (दस्तावेज़ों की कूटरचना), 468 (धोखाधड़ी के इरादे से कूटरचना), और 471 (फर्जी दस्तावेज़ का उपयोग) के तहत केस दर्ज किया जाता है। आरोपी की गिरफ्तारी का घटनाक्रम भी नाटकीय रहा, जिसका खुलासा जल्द किया जाएगा।

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Author: Deepak Mittal

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