भोपाल: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में एक के बाद एक बड़े और चौंकाने वाले फैसले लिए गए। बैठक की शुरुआत वंदे मातरम गान के साथ हुई, लेकिन इसके बाद जो निर्णय सामने आए, उन्होंने प्रदेश की राजनीति और विकास योजनाओं में हलचल मचा दी।
नर्मदा परियोजनाओं के डूब प्रभावितों के लिए 1,782 करोड़ का पैकेज
मंत्रि-परिषद ने अनूपपुर, मंडला और डिंडोरी जिलों की अपर नर्मदा परियोजना, राघवपुर बहुउद्देशीय परियोजना और बसानिया बहुउद्देशीय परियोजना के डूब प्रभावितों के लिए 1,782 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज मंजूर किया है।
यह राशि डीपीआर में पहले से प्रावधानित 1,656 करोड़ 2 लाख रुपये के अतिरिक्त होगी।
इन तीनों परियोजनाओं की कुल लागत 5,512 करोड़ 11 लाख रुपये है, जिससे 71,967 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई और 125 मेगावाट बिजली उत्पादन का प्रावधान है।
इन परियोजनाओं से 13,873 परिवार प्रभावित होंगे, जिन्हें प्रति परिवार 12.50 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा 50 हजार अनुसूचित जाति और जनजाति परिवारों को अतिरिक्त मुआवजा भी मिलेगा।
भोपाल-इंदौर मेट्रो के लिए बड़ी राशि
मंत्रि-परिषद ने भोपाल और इंदौर मेट्रो रेल परियोजना के संचालन और रखरखाव के लिए वर्ष 2025-26 हेतु 90 करोड़ 67 लाख रुपये की बजट राशि को मंजूरी दी है। मेट्रो के सुचारु संचालन को लेकर यह फैसला अहम माना जा रहा है।
ग्राम सड़क योजना में 693 करोड़ से ज्यादा के काम
मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं अवसंरचना योजना के तहत 2025-26 में 693 करोड़ 76 लाख रुपये की लागत से करीब 3810 कार्यों को स्वीकृति दी गई है। इनमें 10 लाख रुपये या उससे अधिक लागत के कार्य शामिल होंगे।
उद्यम क्रांति योजना 2030-31 तक बढ़ी
सरकार ने मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना को वर्ष 2030-31 तक जारी रखने का फैसला किया है। इसके तहत 905 करोड़ 25 लाख रुपये के व्यय को मंजूरी दी गई।
इस योजना में 18 से 45 वर्ष के युवाओं को 50 हजार से 50 लाख रुपये तक का ऋण, 3% ब्याज अनुदान और 7 साल तक ऋण गारंटी शुल्क में राहत दी जाएगी।
प्रदेश में 6 वन विज्ञान केंद्र स्थापित होंगे
मंत्रि-परिषद ने 2025-26 से 2029-30 के बीच प्रदेश में 6 वन विज्ञान केंद्र स्थापित करने के लिए 48 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी। इसका उद्देश्य कृषि वानिकी को बढ़ावा देना, वन भूमि की उत्पादकता बढ़ाना और लकड़ी उत्पादन से आय के नए स्रोत तैयार करना है।
अस्थायी पद होंगे स्थायी
सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक फैसला लेते हुए विभिन्न विभागों में अस्थायी पदों को स्थायी पदों में बदलने के लिए सेवा भर्ती नियमों में संशोधन की अनुमति दी है। साथ ही कार्यभारित और आकस्मिक स्थापना के पदों पर नई नियुक्ति न करने का भी निर्णय लिया गया है।
मंत्रि-परिषद के इन फैसलों ने साफ कर दिया है कि आने वाले समय में प्रदेश में विकास, रोजगार और बुनियादी ढांचे पर भारी खर्च होने वाला है—लेकिन साथ ही इन अरबों की मंजूरी ने राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में नई चर्चाओं को भी जन्म दे दिया है।
Author: Deepak Mittal










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