जे के मिश्र
जिला ब्यूरो चीफ
नवभारत टाइम्स 24*7in बिलासपुर
बिलासपुर। व्याख्याता से प्राचार्य पद पर की गई नियुक्तियों को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट में एक बार फिर विवाद ने जोर पकड़ लिया है। लगभग दर्जनभर याचिकाएं न्यायालय में दायर की गई हैं, जिनकी सुनवाई डिवीजन बेंच द्वारा की जा रही है। याचिकाकर्ता पक्ष का आरोप है कि राज्य शासन द्वारा बिना प्रक्रिया का पालन किए प्राचार्य पद की पदोन्नति कर दी गई है।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए नियुक्ति में की गई अनियमितताओं का हवाला दिया और कहा कि डीपीआई तथा बीईओ के स्तर पर नियमों को दरकिनार कर मनमाने तरीके से प्राचार्य बनाए गए हैं।
शासन ने रखा पक्ष, डिवीजन बेंच ने सुरक्षित रखा फैसला
राज्य शासन की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने दावा किया कि सभी पदस्थापन नियमानुसार हैं और पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया है। हालांकि याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने न्यायालय से अपील की कि नियुक्तियों की पुनः समीक्षा की जाए। सोमवार को सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा और जल्द आदेश पारित करने की संभावना जताई।
बीईओ से प्राचार्य बनाए जाने पर भी उठे सवाल, अधिवक्ताओं ने दिया तर्क
याचिका में यह भी सवाल उठाया गया कि माध्यमिक विद्यालयों में व्याख्याताओं को दरकिनार करते हुए बीईओ को सीधे प्राचार्य पद पर पदस्थ करना कहीं न कहीं वरिष्ठता और नियमों के विपरीत है। याचिकाकर्ता पक्ष ने अदालत को बताया कि शिक्षा विभाग में पहले से ही ऐसे कई अधिकारी हैं जो योग्य होते हुए भी पदोन्नति से वंचित रह गए।
न्यायालय की चेतावनी, आदेश के पालन में लापरवाही न हो
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि पहले जारी आदेश का पालन यदि नहीं किया गया तो इसे न्यायालय की अवमानना माना जा सकता है। भविष्य में ऐसी नियुक्तियों पर कोर्ट की निगरानी बनी रहेगी। राज्य शासन तथा संबंधित विभाग को निर्देशित किया गया है कि अगले आदेश तक कोई भी नई जॉइनिंग न दी जाए।
ये हैं प्रमुख याचिकाकर्ता शिक्षक
इस मामले में याचिका लगाने वाले प्रमुख नामों में पी. गंगीराम राव, लक्ष्मी प्रसाद राठौर, संजय कुमार वासनिक, सपना नारायण कुशवाहा, अनुराग त्रिवेदी, अखिलेश त्रिपाठी, आनंद प्रसाद साहू, कौशलेंद्र सिंह साहू और पुरुषोत्तम सिंह आदि शामिल हैं।
