रायपुर/तेलंगाना। कुख्यात नक्सल नेता हिड़मा की मुठभेड़ में मौत को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। तेलंगाना के नागरिक अधिकार मंच ने इस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए सुरक्षा बलों पर बड़ा आरोप लगाया है। मंच के प्रमुख एन. नारायण राव ने अपने बयान में कहा कि अल्लूरी-मारेडुमिल्लि टाइगर ज़ोन में हुई जिस मुठभेड़ में छह माओवादी मारे जाने का दावा किया गया है, वह संदिग्ध है। इन छह माओवादियों में केंद्रीय समिति सदस्य हिड़मा और उसका साथी भी शामिल बताए गए थे।
संगठन का आरोप: “हिडमा को हिरासत में लेकर गोली मारी गई”
संगठन ने अपने बयान में दावा किया कि—
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यह मुठभेड़ वास्तविक नहीं बल्कि फर्जी तरीके से दिखाया गया ऑपरेशन है।
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पिछले समय में भी 80 से अधिक मुठभेड़ें फर्जी बताई जा चुकी हैं।
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हिड़मा को पहले बंदी बनाया गया, उसके बाद उसे गोली मारी गई।
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हिड़मा की मौत का कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है।
हिडमा की मां से हुई बातचीत का उल्लेख
बयान में यह भी कहा गया कि छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री ने हिडमा की मां कल्ली से बातचीत के दौरान बताया था कि हिडमा को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
संगठन का दावा है कि यह परिस्थिति खुद इस बात का संकेत है कि हिडमा पहले से पुलिस की पकड़ में था और बाद में उसे मार गिराया गया।
जीवन सुरक्षा को लेकर मांग
नागरिक अधिकार मंच ने मांग की है कि—
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हिडमा समेत अन्य माओवादी कैडरों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
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जीवन के अधिकार की रक्षा करना राज्य की जिम्मेदारी है, इसलिए निष्पक्ष जांच कराई जाए।
Author: Deepak Mittal









