रायपुर।
छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर बढ़ते विवाद के बीच मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शुक्रवार को एक बड़ा और तीखा बयान जारी किया है। उन्होंने धर्मांतरण को “छत्तीसगढ़ के लिए एक कलंक” करार देते हुए कहा कि राज्य सरकार इसके खिलाफ अंतिम लड़ाई लड़ रही है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री का यह बयान उस समय आया है जब हाल ही में दुर्ग जिले में केरल की दो ननों को धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस गिरफ्तारी के बाद न सिर्फ राज्य बल्कि दिल्ली तक राजनीतिक तापमान बढ़ गया था। विपक्ष ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया, जबकि राज्य सरकार ने कार्रवाई को कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बताया।
हालांकि, शुक्रवार को एनआईए की विशेष अदालत ने दोनों ननों को जमानत दे दी और उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले की जांच अभी जारी है और जांच एजेंसियों को सभी पहलुओं की गहराई से पड़ताल करनी होगी।
“धर्मांतरण पर कोई समझौता नहीं”: सीएम साय
मुख्यमंत्री साय ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार अवैध धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून, प्रभावी निगरानी तंत्र और सटीक कार्रवाई सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा:
“हमारी सरकार राज्य की जनसंख्या के सांस्कृतिक और धार्मिक संतुलन को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। धर्मांतरण की गतिविधियां छत्तीसगढ़ की सामाजिक संरचना को चोट पहुंचा रही हैं, और यह अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने-सामने
सीएम के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए इसे संविधान में प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है। वहीं भाजपा नेताओं और समर्थकों ने मुख्यमंत्री के रुख को “साहसिक और जनभावनाओं के अनुरूप” बताया।
आदिवासी क्षेत्रों में पुराना मुद्दा
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल इलाकों में धर्मांतरण को लेकर लंबे समय से बहस चलती रही है। पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में भी यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बना रहा था। अब भाजपा सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद इस पर कठोर रुख अपनाया जा रहा है।
Author: Deepak Mittal









