रतलाम से इमरान खान की रिपोर्ट
रतलाम में कलेक्टर द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद लालच में कुछ लोग सस्ती चायना डोर खुलेआम बेचते रहे। इसका नतीजा शनिवार को भयावह रूप में सामने आया, जब पूरे दिन में अलग-अलग घटनाओं में 6 लोग घायल हो गए। इनमें 3 लोगों के गले कटे, जबकि 18 वर्षीय युवक की सांस नली पूरी तरह कट जाने से उसकी जान पर बन आई। गनीमत रही कि डॉक्टरों की टीम ने देवदूत बनकर 45 मिनट के ऑपरेशन में उसकी जान बचा ली।
समीर की सांस नली कटी, डॉक्टरों ने मौत के मुंह से निकाला
बापूनगर निवासी समीर (18) पुत्र स्व. शकूर खान शनिवार शाम करीब 4.40 बजे बाइक से बाजार जा रहा था। जावरा रोड स्थित घटला ब्रिज के पास अचानक कटी पतंग की चायना डोर उसके गले में उलझ गई और अंदर तक धंस गई। गले से तेज़ी से खून बहने लगा। उसी समय पत्रकार समीर खान वहां से गुज़रे, जिन्होंने दांतों से डोर काटकर हटाई और राहगीरों की मदद से घायल को अस्पताल पहुंचाया।

जिला अस्पताल में सर्जन डॉ. गोपाल यादव, ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. अजय पाटीदार और डॉ. अभिषेक अरोरा की टीम ने तुरंत ऑपरेशन शुरू किया। सांस नली और मांसपेशियां बुरी तरह कट चुकी थीं। करीब 25 टांके लगाकर नली रिपेयर की गई और ट्यूब डालकर आईसीयू में भर्ती किया गया। डॉक्टरों के अनुसार, यदि 5 मिनट की और देरी होती तो समीर की जान बचाना मुश्किल था। समीर गरीब परिवार का इकलौता पुत्र है, पिता का निधन 6 वर्ष पहले हो चुका है।
मंदसौर जा रहे दंपत्ति के गले और हाथ कटे

दोपहर करीब 3.30 बजे, मछली मार्केट के पास नाहरगढ़ (मंदसौर) जा रहे आनंद गोसर (25) और उनकी पत्नी मुस्कान (23) भी चायना डोर की चपेट में आ गए। आनंद के गले और हाथ में गंभीर चोटें आईं, जबकि मुस्कान की उंगली कट गई। दोनों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
6 वर्षीय मासूम और अन्य लोग भी घायल
शाम करीब सवा छह बजे छोटूभाई की बगीची क्षेत्र में खेलते समय 6 वर्षीय नैतिक बंजारा के पैर की एड़ी पतंग की डोर से कट गई। इसके अलावा, रात करीब 8 बजे बांगरोद निवासी जितेंद्र प्रजापत (22) जावरा फाटक के पास डोर से घायल हो गया। सौभाग्य से उसकी सांस नली नहीं कटी।
प्रतिबंध के बाद भी बिक्री जारी, प्रशासन पर सवाल
कलेक्टर के प्रतिबंध के बावजूद चायना डोर की बिक्री रुकने का नाम नहीं ले रही। प्लास्टिक और कांच से बनी यह डोर न केवल पक्षियों के लिए खतरनाक है, बल्कि इंसानों की जान भी ले सकती है। शनिवार को घटी घटनाओं ने एक बार फिर साबित किया कि नियमों का पालन कराने में प्रशासन नाकाम है।
Author: Deepak Mittal









