सरगुजा, मैनपाट। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इन दिनों मैनपाट में आयोजित सांसद-विधायक प्रशिक्षण शिविर में सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं। शिविर के तीसरे दिन उन्होंने प्रातःकालीन योग सत्र में भाग लेकर योग को “अनुशासन और आत्म-संतुलन का दिव्य मार्ग” बताया।
मुख्यमंत्री ने अपने X (पूर्व Twitter) पोस्ट में लिखा—
“समत्वं योग उच्यते। योग भारत की सनातन परंपरा का वह दिव्य सूत्र है, जिसके प्रत्येक आसन में अनुशासन है, प्रत्येक श्वास में ध्यान है और प्रत्येक क्षण में आत्मिक संतुलन की अनुभूति होती है।”
शासन और प्रशासन पर दो टूक:
मुख्यमंत्री ने केवल आध्यात्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि प्रशासनिक चुनौती के संदर्भ में भी मुखर रुख अपनाया।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कठोर निर्णय लेने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। “प्रशासनिक विसंगतियों पर अगर हम सख्त नहीं होंगे, तो सही निर्णय नहीं ले पाएंगे।”
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा—
“एक स्कूल में 12 शिक्षक हैं और दूसरी जगह एक भी नहीं—ऐसे में तबादले जरूरी हैं वरना शिक्षा व्यवस्था चरमरा जाएगी।”
राजकोषीय घाटे पर जताई चिंता, बताए समाधान:
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजकोषीय घाटा छत्तीसगढ़ के लिए एक बड़ी आर्थिक चुनौती है। लेकिन इसे संतुलित करने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने बताया कि:
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GST कलेक्शन बढ़ाया गया है
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आबकारी और माइनिंग सेक्टर में लीकेज रोके गए हैं
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नई योजनाओं के लिए फंडिंग के वैकल्पिक स्त्रोत तैयार किए जा रहे हैं
मुख्यमंत्री साय का यह वक्तव्य यह दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ में आध्यात्मिक अनुशासन और प्रशासनिक दृढ़ता को साथ लेकर एक संतुलित और विकासशील शासन की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। योग का अनुशासन और नीति का निर्णय—दोनों मिलकर एक नई शासनशैली की झलक पेश करते हैं।
