छत्तीसगढ़ का ‘जिंदा’ गांव बना मिसाल: टीबी को हराकर हासिल की नई पहचान, जानिए कैसे बदली किस्मत!

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कवर्धा।
छत्तीसगढ़ में ‘स्वस्थ भारत’ की परिकल्पना अब धरातल पर उतरने लगी है। राज्य के कवर्धा विकासखंड स्थित ग्राम पंचायत ‘जिंदा’ ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए खुद को “टीबी मुक्त पंचायत” घोषित करवा लिया है।

यह केवल एक गांव की जीत नहीं, बल्कि जनजागरूकता, समय पर जांच और इलाज के प्रति सामूहिक संकल्प का परिणाम है।

आज आयोजित सम्मान समारोह में उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने गांव को “टीबी मुक्त” प्रमाण पत्र प्रदान किया और कहा,
“जिंदा गांव ने साबित कर दिया कि यदि ग्रामवासी, पंचायत और स्वास्थ्य विभाग मिलकर काम करें, तो कोई बीमारी असंभव नहीं।”

कार्यक्रम में CGMSC के अध्यक्ष दीपक म्हस्के, स्थानीय जनप्रतिनिधि और क्षेत्र के कई गणमान्य नागरिक शामिल हुए। उन्होंने ग्रामवासियों की प्रतिबद्धता और सहभागिता की सराहना की।

कैसे हुआ संभव ये बदलाव?

  • पंचायत स्तर पर नियमित टीबी जांच शिविर

  • समय पर इलाज और दवा वितरण

  • घर-घर जाकर स्वास्थ्य कर्मियों की निगरानी

  • लोगों में टीबी को लेकर डर हटाना और जागरूकता फैलाना

यह बदलाव अब अन्य पंचायतों के लिए भी एक मॉडल बन सकता है। ‘जिंदा’ गांव का यह अभियान यह बताता है कि स्वास्थ्य सुधार सिर्फ सरकारी योजनाओं से नहीं, बल्कि जन-भागीदारी से साकार होता है।

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Author: Deepak Mittal

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