ताजा खबर

ना उड़ सकते है हेलीकॉप्टर ना ही कर पाया कोई चढ़ाई… दुनिया के लिए आज भी रहस्य है कैलाश, विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया इसके अनसुलझे सवाल

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

कैलाश पर्वत केवल एक पर्वत नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता, रहस्य और धार्मिक मान्यताओं का संगम है, जो न केवल हिंदू धर्म में, बल्कि बौद्ध धर्म, जैन धर्म और तिब्बती बोन परंपरा में भी समान रूप से पूजनीय है।

तिब्बत क्षेत्र में स्थित इस पर्वत को भगवान शिव का निवास माना जाता है और इसीलिए इसे सबसे पवित्र पर्वतों में गिना जाता है। पाँच वर्षों के अंतराल के बाद, 2025 में कैलाश मानसरोवर यात्रा पुनः शुरू हो रही है, जिसे दुनिया के सबसे कठिन और रहस्यमय तीर्थयात्राओं में गिना जाता है।

शास्त्रों में वर्णित है कैलाश की अद्भुत महिमा
शिव पुराण, स्कंद पुराण और मत्स्य पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथों में कैलाश पर्वत की महिमा का उल्लेख मिलता है। यह स्थान केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि एक दिव्य अनुभूति है। ऐसा माना जाता है कि यह पर्वत स्वयं भगवान शिव का निवास स्थान है, जहाँ वे समाधि में लीन रहते हैं।

कैलाश पर्वत आज भी अजेय है
हालाँकि दुनिया में माउंट एवरेस्ट जैसी ऊँची चोटियों पर विजय प्राप्त की जा चुकी है, लेकिन कम ऊँचाई वाला कैलाश पर्वत आज भी अजेय बना हुआ है। कई पर्वतारोहियों ने इस पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन कोई भी सफल नहीं हुआ। यह पर्वत आज भी एक रहस्य और चुनौती बना हुआ है।

मिलारेपा: एकमात्र विजेता?
इस पर्वत से जुड़ा एकमात्र नाम बौद्ध संत मिलारेपा का है, जिन्होंने 11वीं शताब्दी में कैलाश पर चढ़ने का दावा किया था और वापस लौट आए थे। लेकिन इस घटना को भी एक धार्मिक चमत्कार के रूप में देखा जाता है, न कि किसी भौतिक विजय के रूप में।

पर्वत का रहस्य धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है

कैलाश पर्वत के बारे में यह भी मान्यता है कि यह देवताओं और पुण्यात्माओं का निवास स्थान है। कहा जाता है कि यहाँ केवल वही शक्तियाँ पहुँच सकती हैं जो अत्यंत पवित्र और दिव्य हों। धार्मिक दृष्टि से इस पर्वत पर चढ़ना सामान्य मनुष्यों के लिए वर्जित माना जाता है। भगवान शिव का निवास होने के कारण, इस पर चढ़ना पाप माना जाता है। चार धर्मों में इसकी पूजा के कारण इसकी पवित्रता को सर्वोपरि महत्व दिया गया है। अदृश्य शक्ति और रहस्यमयी ध्वनियाँ भी इस स्थान को और रहस्यमय बनाती हैं।

कैलाश के ऊपर हेलीकॉप्टर क्यों नहीं उड़ते?
भौगोलिक दृष्टि से, कैलाश पर्वत की ऊँचाई पर वायुदाब और ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम है, जिससे वहाँ किसी भी प्रकार के विमान या हेलीकॉप्टर का उड़ना असंभव है। इसके अलावा, धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए, सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इस क्षेत्र को नो-फ्लाई ज़ोन घोषित कर दिया है।

इस रहस्य के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं
कठिन स्थलाकृति: कैलाश पर्वत पर चढ़ते समय खड़ी और फिसलन भरी चट्टानें हैं, जो इसे खतरनाक बनाती हैं।

चुंबकीय प्रभाव: कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि कैलाश पर्वत के क्षेत्र में एक प्रबल चुंबकीय क्षेत्र है, जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और मानव शरीर को प्रभावित कर सकता है।

भटकाव की समस्या: कई पर्वतारोहियों का दावा है कि यहाँ चढ़ते समय उनका मन भटक जाता है, जिसके कारण वे अपना रास्ता भटक जाते हैं या वापस नहीं लौट पाते।

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Comment

October 2025
S M T W T F S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031  

Leave a Comment